मुंबई । महाराष्ट्र में चल रहे राजनीतिक संघर्ष के बीच दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल तथा पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान एक दिन के मुंबई दौरे पर हैं. शुक्रवार शाम उन्होंने मातोश्री बंगले में उद्धव ठाकरे से मुलाकात की. मार्च महीने में उद्धव ठाकरे ने सभी विपक्षी दलों की मुंबई में एक बड़ी बैठक बुलाई है. इसी के मद्देनजर यह बैठक होने की जानकारी है. यह मुलाकात पूरी तरह से राजनीतिक मकसद को लेकर की गई है. इस मुलाकात में साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में बीजेपी को हराने की रणनीति पर विचार होने की बात कही जा रही है. दरअसल केंद्रीय चुनाव आयोग द्वारा शिवसेना का नाम और निशान एकनाथ शिंदे के हाथ दिए जाने के बाद से उद्धव ठाकरे पीएम मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र की बीजेपी सरकार के खिलाफ बेहद आक्रामक हो गए हैं. उन्होंने इस घटना के बाद शिवसैनिकों को संबोधित करते हुए कहा था कि केंद्रीय एजेंसियां केंद्र सरकार के गुलामों की तरह व्यवहार कर रही हैं. 2024 का चुनाव आखिरी चुनाव होने वाला है. अगर इस चुनाव में विपक्ष ने मौका गंवा दिया तो फिर कभी चुनाव नहीं होगा. देश में तानाशाही आ जाएगी. उद्धव ठाकरे ने यह साफ कर दिया था कि वे मार्च महीने में देश भर की विपक्षी पार्टियों को मुंबई बुलाएंगे और लोकसभा चुनाव में बीजेपी को हराने की रणनीति पर गंभीरत से काम करेंगे. पर सवाल यह है कि अरविंद केजरीवाल और भगवंत मान ने क्या अभी से यह तय कर लिया है कि वे मार्च में होने वाली बैठक में शामिल नहीं होंगे? यह बात सच है कि अरविंद केजरीवाल बीजेपी का विरोध करने वाले एक प्रखर और मुखर नेता हैं लेकिन यह भी बात सही है कि जब भी विपक्षी गठबंधन की बात होती है तो कांग्रेस के अलावा ममता बनर्जी का नाम नेतृत्व के तौर पर गूंजता है शरद पवार का नाम गूंजता है नीतिश कुमार उद्धव और अखिलेश का नाम गूंजता है लेकिन विपक्ष की ओर से कभी अरविंद केजरीवाल के नाम पर बात नहीं होती. बहरहाल अब देखना यह है कि क्या उद्धव ठाकरे केजरीवाल और मान को विपक्षी एकता के नाम पर साथ ला पाते हैं या केजरीवाल आगे भी सबसे अलग-थलग ही खिचड़ी पकाते हैं.
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