मुंबई । शिवसेना का नाम और चुनाव चिह्न शिंदे गुट को मिलने के बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने शिवसेना की पहली अहम बैठक बुलाई है। सूत्रों के मुताबिक, बैठक के दौरान एकनाथ शिंदे को शिवसेना प्रमुख घोषित किया जा सकता है। सूत्रों ने कहा कि पार्टी नेता एक मत से शिंदे को सभी शक्तियां सौंप देंगे और बैठक के बाद यदि शिवसेना की ओर से कोई व्हिप जारी किया जाता है तो यह पार्टी में सभी के लिए लागू होगा। उन्होंने कहा कि यदि कोई इसका पालन नहीं करता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। साथ ही उन्होंने कहा कि शिवसेना अध्यक्ष का पद समाप्त कर दिया जाएगा।
शिंदे के प्रतिद्वंद्वी और पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने आज सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया कि चुनाव आयोग के शिंदे गुट को पार्टी का नाम और प्रतीक चिह्न देने के फैसले को रद्द किया जाए। इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट कल दोपहर 3:30 बजे सुनवाई करेगा।
टीम ठाकरे की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए। उन्होंने मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ के समक्ष तत्काल सुनवाई की मांग करते हुए आरोप लगाया कि ठाकरे के कार्यालय और पार्टी के बैंक खातों पर कब्जा किया जा रहा है।
शिंदे के वकील महेश जेठमलानी ने कहा कि वे कल बताएंगे कि सुप्रीम कोर्ट को इस मामले में हस्तक्षेप क्यों नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हाइकोर्ट पहले ही इसे खारिज कर चुका है।
सूत्रों ने बताया कि शिंदे आज शाम शिवसेना की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में नए स्थानीय नेताओं की नियुक्ति कर सकते हैं। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के गुट की आज की बैठक इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि उन्हें ठाकरे के लगातार हमलों और समर्थकों-कार्यकर्ताओं की वफादारी हासिल करने की कोशिशों के बीच अपनी ताकत और समर्थन के आधार को मापने की जरूरत है। ठाकरे और शिंदे पार्टी कार्यकर्ताओं की वफादारी हासिल करने और पार्टी की संपत्ति को अपनी ओर करने की कोशिश में शिवसेना के नाम और प्रतीक चिह्न के मामले को लेकर छिड़े घमासान के और तेज होने की संभावना है। उधर, उद्धव ठाकरे शिव सैनिक शिविरों पर ध्यान केंद्रित करके अपने प्रति वफादार पार्टी कार्यकर्ताओं के मनोबल को ऊंचा रखने के लिए काम कर रहे हैं।
शिवसेना के पास राज्य भर में शिविरों का बड़ा नेटवर्क है, जिनसे ठाकरे शिव शक्ति अभियान शुरू करने के लिए नए सिरे से संपर्क करेंगे या पार्टी कार्यकर्ताओं को जमीन पर मजबूत करने की कवायद करेंगे। ठाकरे ने कल मुंबई के शिवसेना भवन में इसकी घोषणा की।
24 घंटे से भी कम समय में एक कानूनी फर्म ने महाराष्ट्र सरकार को एक पत्र भेजकर शिवई ट्रस्ट के प्रमुख से संपर्क करने के लिए कहा है, जो शिव सेना भवन चलाता है। इस पर स्पष्टता के लिए कि सार्वजनिक ट्रस्ट के कार्यालय का उपयोग राजनीतिक गतिविधियों के लिए कैसे किया जा सकता है, जो कि अवैध है ।
लॉ फर्म ने महाराष्ट्र के कानून और न्याय विभाग को लिखे पत्र में कहा, कई दशकों तक राजनीतिक गतिविधियों के लिए एक सार्वजनिक ट्रस्ट के कार्यालय का उपयोग कैसे किया जा सकता है? यदि ऐसा उपयोग ट्रस्ट के उद्देश्यों के उल्लंघन में है, तो ट्रस्टियों को निलंबित या हटाया क्यों नहीं जा सकता और एक नया प्रशासक नियुक्त क्यों नहीं किया जाना चाहिए?
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