भोपाल । राजधानी के काटजू अस्पताल में इलाज कराने आई एक गर्भवती महिला के गर्भ में ही बच्चे की मौत हो गई। गलती के बाद डाक्टरों ने गर्भवती महिला के परिवार को इसकी जानकारी भी नहीं दी और महिला को अस्पताल से छुट्टी दे दी। घर जाने के बाद जब महिला की तबियत बिगड़ी तो प्राइवेट अस्पताल में जांच करने बाद परिजनों को इसकी जानकारी मिली। घटना से स्तब्ध महिला के पति सहित अन्य परिजनों ने शुक्रवार को अस्पताल के बाहर प्रदर्शन करते हुए धरना दिया और मंत्री विश्वास सारंग से डाक्टर सहित अस्पताल के पूरे स्टाफ पर कार्रवाई करने की मांग की।
तड़पती रही गर्भवती महिला, नहीं मिला इलाज :
रोशनपुरा निवासी सुनील राठौर की पत्नी पूनम राठौर को प्रसव पीड़ा होने पर उन्हें आठ फरवरी को जवाहर चौक स्थित काटजू अस्पताल में भर्ती कराया गया था। भर्ती करने के बाद पूनम का इलाज और जांच करने के लिए कोई डाक्टर नहीं आए। इलाज के अभाव में जब पूनम की तबीयत बिगड़ने लगी, तो परिजनों ने अस्पताल में हंगामा किया। इसके बाद एक महिला डाक्टर ने पूनम को ड्रिप लगा दी और कहा कि सुबह इनकी सोनोग्राफी कराई जाएगी।
स्वस्थ बताकर अस्पताल से दे दी छुट्टी :
नौ फरवरी की सुबह सोनोग्राफी करने की स्थान पर पूनम को स्वस्थ बताकर अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। घर आने पर पूनम को जब फिर से पेट में तेज पीड़ा हुई तो उसे उपचार के लिए एक निजी अस्पताल में ले जाया गया। जहां डाक्टरों ने उसकी सोनोग्राफी करने के बाद बताया कि दो दिन पहले ही बच्चे की गर्भ में मौत हो चुकी है। डाक्टर की बात सुनकर परिजन के होश उड़ गए। परिजनों को कहना है कि अगर काटजू अस्पताल में समय पर उपचार मिल जाता, तो उनके बच्चे की मौत नहीं होती। डाक्टरों की लापरवाही से मेरी पत्नी का जीवन संकट में आ गया और बच्चे की गर्भ में ही मौत हो गई। इलाज के नाम पर डाक्टरों ने उसे भर्ती कर लिया। यदि पत्नी को समय पर इलाज मिल जाता, तो बच्चे की जान बच सकती थी।
-सुनील राठौर, पीड़िता का पति
इस मामले में यदि हमें लिखित शिकायत मिलेगी, तो जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी। केवल आरोप लगाने से ही हम कार्रवाई नहीं कर सकते हैं। तथ्यों को पूरी तरह से जानने के बाद ही कार्रवाई करेंगे।
– डा. प्रभाकर तिवारी, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी
Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.