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न इजराइल-न अमेरिका, जंग के लिए ईरान इस शख्स की 2 गलतियों को बता रहा जिम्मेदार

ईरान और इजराइल के बीच छिड़ी जंग आठवें दिन में पहुंच चुकी है. मिसाइलें, धमाके और धमकियों के बीच अब अमेरिका की भूमिका पर भी सस्पेंस बन गया है. व्हाइट हाउस ने ऐलान किया है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अगले दो हफ्तों में तय करेंगे कि अमेरिका इस युद्ध में कूदेगा या नहीं. ऐसे में इस जंग का दायरा और बड़ा हो सकता है.

लेकिन इस बार ईरान ने सीधे इजराइल या अमेरिका पर नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय परमाणु एजेंसी (IAEA) के डायरेक्टर जनरल राफाएल ग्रोसी को कठघरे में खड़ा कर दिया है. तेहरान का दावा है कि जंग भड़काने की बुनियाद ग्रोसी की दो बड़ी गलतियों ने रखी.

पहली गलती: देर से बोली गई सच्चाई

कुछ दिन पहले CNN को दिए इंटरव्यू में ग्रोसी ने कहा कि IAEA को ईरान के खिलाफ ऐसा कोई सबूत नहीं मिला है जिससे लगे कि वह परमाणु हथियार बना रहा है. लेकिन ईरान का आरोप है कि ये बयान बहुत देर से आया और इससे पहले IAEA की जो रिपोर्ट्स थीं, उन्होंने दुनिया भर में ईरान के खिलाफ माहौल बनाने का काम किया.

ईरानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता इस्माईल बकाई हमानेह ने इसे बहुत देर से आई सच्चाई बताया. उन्होंने कहा कि इसी आधार पर अमेरिका और यूरोपीय देशों ने ईरान के खिलाफ प्रस्ताव पास किया, जिसे इजराइल ने हमले का बहाना बना लिया.

दूसरी गलती: पक्षपाती रिपोर्टिंग का आरोप

ईरान का आरोप है कि ग्रोसी की अगुवाई में IAEA अब निष्पक्ष नहीं रह गई है. बकाई के मुताबिक, यह संस्था NPT (परमाणु अप्रसार संधि) के दायरे में आने वाले देशों के हक छीनने और गैर-NPT देशों (जैसे इज़राइल) के हित साधने का औजार बन गई है. उन्होंने X पर लिखा है क गलत नैरेटिव के गंभीर नतीजे होते हैं.

ईरान का हमला- ग्रोसी की रिपोर्ट से मरे बेकसूर

ईरान के पूर्व विदेश मंत्री जवाद जरीफ ने भी ग्रोसी पर सीधा हमला किया. उन्होंने कहा कि IAEA की गलत और गैर-जिम्मेदार रिपोर्टिंग की वजह से ईरान के कई बेकसूर लोग मारे गए. उन्होंने इसे एजेंसी की साख को लगी अपूरणीय क्षति करार दिया और ग्रोसी को जवाबदेह ठहराया.

इजराइली हमलों के बाद ईरान ने IAEA की फील्ड जांच बंद कर दी है. ग्रोसी ने माना कि एजेंसी अब सिर्फ सैटेलाइट इमेजरी के जरिए निगरानी कर रही है. इस्फहान प्लांट में रखे गए 60% समृद्ध यूरेनियम की स्थिति को लेकर कोई ठोस जानकारी नहीं है.

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