सिवनी
सिवनी में सट्टा सम्राज्ञी ‘लता कुल्हाड़े’ का काला खेल, युवा पीढ़ी हो रही बर्बाद

राष्ट्र चंडिका न्यूज़ | सिवनी,सट्टा और तीन पत्ती जैसे अवैध जुए के खेलों ने सिवनी नगर की सामाजिक और नैतिक स्थिति को चरमरा कर रख दिया है। खासकर युवा वर्ग तेजी से इस दलदल में फंसता जा रहा है। इसका संचालन करने वाली मुख्य किरदार के रूप में उभर कर सामने आई है लता कुल्हाड़े एक ऐसा नाम जो अब सट्टा कारोबार की पहचान बन चुका है।
सूत्रों की मानें तो लता का यह काला कारोबार सिर्फ सिवनी तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके तार बालाघाट, कटंगी और छिंदवाड़ा के चौरई जैसे क्षेत्रों से भी जुड़े हुए हैं। कई बार पुलिस ने कार्यवाही करते हुए उसे जेल भेजा, लेकिन हर बार वह पैसों के दम पर छूटकर फिर से अपने कारोबार को शुरू कर देती है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि लता के खिलाफ जिला बदर की कार्रवाई की तैयारी की गई थी, लेकिन अचानक यह कार्यवाही ठंडे बस्ते में चली गई। अब यह सवाल उठ रहा है कि कहीं किसी रसूखदार के दबाव में तो प्रशासन ने कदम पीछे नहीं खींचे?
युवाओं को बना रही शिकार – लता कुल्हाड़े द्वारा संचालित सट्टा कारोबार ने स्कूली छात्रों से लेकर मजदूर वर्ग तक को अपनी चपेट में ले लिया है। मजदूर अपनी दिनभर की मेहनत की कमाई इस जुए में गंवा बैठते हैं। वहीं, स्कूली छात्र भी इस खेल में ‘किस्मत आजमाने’ लगे हैं, जिससे उनका भविष्य अंधकारमय होता जा रहा है।
चल रहा तीन पत्ती का खेल – इस अवैध कारोबार में ‘तीन पत्ती’ नामक जुए का खेल भी शामिल कर लिया गया है, जो लता के घर में ही खुलेआम खेला जा रहा है। यहां युवा लड़के घंटों तक जमावड़ा लगाकर जुआ खेलते देखे जा सकते हैं।
प्रशासनिक चुप्पी पर उठते सवाल – यह भी सामने आया है कि लता खुलेआम कहती है कि वह मीडिया और पुलिस तक को पैसे देती है, इसलिए उसे कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता। यदि यह कथन सत्य है, तो यह प्रशासनिक तंत्र की गंभीर विफलता का प्रतीक है।
प्रशासन जहां छुटभैय्या अपराधियों पर कठोर कार्रवाई करता है, वहीं लता जैसे ‘सिस्टम से जुड़े’ लोगों पर कार्यवाही न करना कई सवाल खड़े करता है।
सामाजिक संगठनों की चुप्पी भी शर्मनाक – सिवनी में कई सामाजिक संगठन सक्रिय हैं जो अक्सर सामाजिक बुराइयों के खिलाफ आवाज़ उठाते हैं, लेकिन लता के इस अवैध धंधे के खिलाफ अब तक किसी भी संगठन या जनप्रतिनिधि की ओर से कोई ठोस विरोध सामने नहीं आया है।
अब यह देखना होगा कि जिला प्रशासन कब तक लता कुल्हाड़े के इस काले साम्राज्य पर लगाम कसने का साहस जुटा पाता है, या फिर युवा पीढ़ी इसी तरह बेरोजगारी और कर्ज की खाई में धंसती चली जाएगी।