ब्रेकिंग
डोनाल्ड ट्रंप में चाचा चौधरी जैसे गुण… मनोज झा ने कहा- अमेरिकी राष्ट्रपति को सदी का सबसे बड़ा झूठा क... कहां से लाते हैं ऐसे लेखक… जब सिंदूर ही उजड़ गया फिर ऑपरेशन का नाम सिंदूर क्यों? संसद में जया बच्चन ... मेले से लड़कियों की किडनैपिंग का था प्लान, उठाने आए तो बच्चियों ने कर दिया हमला… ऐसे बचाई खुद की जान बाराबंकी: हाइवे किनारे मिला महिला पुलिसकर्मी का शव, चेहरे पर डाला हुआ था तेजाब… जांच में जुटी पुलिस ‘कोई छिपा हुआ कक्ष नहीं’… जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार पर ASI का बयान, बताया- जीर्णोद्धार में क्या-क्... घर में घुसा बदमाश, युवती पर छिड़का पेट्रोल और… रांची में मचा हड़कंप फार्मासिस्ट बोला- मुझसे शादी करोगी? नर्स भी मान गई, दोनों के बीच बने संबंध… फिर लव स्टोरी का हुआ दर्... कैसा होगा UP का पहला प्राइवेट रेलवे स्टेशन? यात्रियों को मिलेंगी वर्ल्ड क्लास सुविधाएं मनसा देवी भगदड़ में घायल महिला की मौत, इलाज के दौरान तोड़ा दम; मरने वालों की संख्या बढ़ी वीकेंड पर दिल्ली में होगी भयंकर बारिश, जानें अगले 5 दिनों तक कैसा रहेगा मौसम?
देश

दिल्ली विधानसभा चुनाव: अब पछताने का क्या फायदा?

नई दिल्ली: ‘अब पछताए क्या होत जब चिडिय़ा चुग गई खेत’, यह कहावत इन दिनों दिल्ली भाजपा पर सटीक बैठती है क्योंकि पार्टी की सोच के विपरीत अरविंद केजरीवाल ने उसके सपनों पर पानी फेर दिया। हाल ही में गृह मंत्री अमित शाह ने स्वीकार किया कि दिल्ली में चुनाव प्रचार के दौरान कुछ नेताओं के बयान भाजपा के लिए हानिकारक साबित हुए। हार के कारणों पर अब कितना ही चिंतन होता रहे लेकिन भाजपा के हाथ से बाजी निकल गई। अब पछताने से कोई फायदा नहीं है।

भाजपा में चर्चा है कि जिस समय केन्द्रीय राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर और सांसद परवेश साहिब सिंबह वर्मा के प्रचार पर चुनाव आयोग ने पाबंदी लगाई थी उसी समय गृह मंत्री अमित शाह या राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा या दूसरे वरिष्ठ भाजपा नेता इन बयानों की निंदा कर देते तो नुक्सान से बचा जा सकता था। भड़काऊ बयान और एक के बाद एक नेता द्वारा हर जनसभा में शाहीन बाग का जिक्र इस कदर गर्मा गया कि न केवल मुस्लिम बहुल विधानसभा क्षेत्रों में बल्कि हिंदू बहुल क्षेत्रों में भी जनता एक सूत्र में संगठित नहीं हो सकी। भले ही इस परिणाम के बाद पार्टी में हार के कारणों को तलाश करने के लिए बैठकों का दौर चलता रहे लेकिन यह साफ हो गया कि इन बयानों से भाजपा के पक्ष में मतदान करने वाले भी ऐन मौके पर पीछे हो गए। हालांकि पार्टी में एक मत यह भी है कि इन भाषणों और एकजुटता की वजह से ही पार्टी को 3 से बढ़कर 8 सीटें मिली हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button