मिशन-बिहार के लिए बीजेपी का प्रवासी फार्मूला, दो करोड़ बिहारी वोटर्स को साधने का मेगा प्लान

देश की सत्ता पर बीजेपी लगातार तीन बार से काबिज है, लेकिन बिहार में अपने दम पर कभी भी सरकार नहीं बना सकी है. जाति के इर्द-गिर्द में सिमटी बिहार की राजनीति में बीजेपी नीतीश कुमार के सहारे सत्ता का स्वाद चखती रही, लेकिन अब आत्मनिर्भर बनने की कवायद में लगातार जुटी है. सात महीने के बाद होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी अभी से ही कमर कस ली है. नीतीश कैबिनेट का विस्तार कराकर बीजेपी ने पहले अपने सियासी समीकरण को सेट किया और अब बिहार से बाहर परदेस में रहने वाले लोगों को साधने की कवायद शुरू करने जा रही है.

मिशन-बिहार के तहत बीजेपी ने प्रदेश से बाहर देश के अलग-अलग राज्यों में रह रहे लोगों तक पहुंचने की रणनीति बनाई है. बीजेपी अपने इस प्लान का आगाज 22 मार्च को बिहार दिवस के मौके पर शुरू करेगी. 22 मार्च से 30 मार्च तक बीजेपी के नेता देश के अलग-अलग राज्यों में रह रहे बिहार के लोगों के साथ बैठक करेंगे. बीजेपी शीर्ष नेतृत्व से इसकी हरी झंडी मिल गई है, जिसकी रूपरेखा भी बन गई है. बीजेपी ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत, स्नेह मिलन कार्यक्रम का नाम दिया है.

दिल्ली के तर्ज पर बिहार जीतने का प्लान

दिल्ली विधानसभा चुनाव में जिस तरह पूर्वांचली वोटों के विश्वास जीतने के लिए बीजेपी ने ‘चोखा-बाटी’ पर चर्चा कार्यक्रम किया था. इस बहाने बीजेपी के नेताओं ने दिल्ली में रहने वाले बिहार के लोगों के साथ संवाद स्थापित कर उन्हें साधने में कामयाब रही है, उसी तर्ज पर देशभर में रहने वाले बिहार के लोगों के साथ संवाद स्थापित करने की स्ट्रेटेजी बनाई है. बीजेपी ने परदेस में रहने वाले बिहार के लोगों के साथ कार्यक्रम करने के लिए टीम गठित की जाएगी. हर एक कार्यक्रम के लिए एक टीम होगी, जो प्रमुख शहरों और क्षेत्रों में संवाद स्थापित करने की कोशिश करेंगे.

बीजेपी का प्रवासी दांव क्या होगा सफल?

बिहार दिवस पर 22 मार्च को कार्यक्रम शुरू होगा और 30 मार्च तक चलेगी. इस दौरान बीजेपी के नेता अलग-अलग शहरों और क्षेत्रों में बैठक करेंगे, जहां पर बिहार के लोग बसे हुए हैं. इस कार्यक्रम में प्रवासी बिहारी समाज के सफल व्यक्तियों को सम्मानित किया जाएगा. सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन भी होगा और इन सब के साथ सहभोज कार्यक्रम भी होगा. इन कार्यक्रमों में भारत की संस्कृति और इतिहास में बिहार के योगदान को दिखाया जाएगा.

प्रवासी कार्यक्रम के दौरान बिहार में एनडीए सरकार की उपलब्धियां को भी बताया जाएगा. साथ ही आगामी विधानसभा चुनाव के लिए प्रवासी बिहारी समाज से किस तरह का सहयोग लिया जाए इस पर भी चर्चा होगी. इन सभी कार्यक्रमों में बिहार बीजेपी के नेता भी शामिल होंगे. इसके साथ सहभोज कार्यक्रम में बिहारी व्यंजन को भी शामिल किया जाएगा. सोशल मीडिया के जरिए इन कार्यक्रमों का ठीक तरीके से प्रचार प्रसार हो कवरेज हो. इस कार्यक्रम में बीजेपी के बिहार सरकार के मंत्री विधायक सांसद और केंद्रीय मंत्री समेत कई बड़े नेता शिरकत करेंगे.

दो करोड़ वोटर्स को साधने का प्लान

बीजेपी के अनुमान के मुताबिक बिहार के लोग प्रदेश में करीब दो करोड़ से ज्यादा रहते हैं, जो रोजगार के लिए अलग-अलग राज्य गए हैं. ऐसे ही लोगों को साधने के लिए बीजेपी ने प्लान बनाया है, जिसके लिए 9 दिनों का कार्यक्रम बनाए गए हैं. दिल्ली में पांच, झारखंड में सात, महाराष्ट्र में सात, यूपी में 6, हरियाणा में सात, गुजरात, पश्चिम बंगाल और पंजाब में 6-6 कार्यक्रम रखे गए हैं. इसके अलावा असम, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा और उत्तराखंड में भी कार्यक्रम रखे गए हैं. इन राज्यों के अलावा भी कुछ दूसरे राज्यों में बीजेपी के नेता बिहार के लोगों के साथ बैठक उन्हें अपने पाले में लाने की कवायद करेंगे.

बिहार चुनाव फतह करने तक का प्लान

बीजेपी जरूर बिहार दिवस पर परदेस में रहने वाले बिहार के लोगों के लिए 9 दिन कार्यक्रम बनाए हो, लेकिन पार्टी की स्ट्रैटेजी है कि बिहार के चुनाव तक उसे यथावत बनाए रखने की है. बीजेपी की तरफ से 75 प्रवासी टोली बनाई गई है, जिसमें अगले पांच महीने तक प्रवासी टोली मुख्य रूप से पांच कार्यक्रम पर ध्यान देगी, जिसमें सबसे पहले एक भारत श्रेष्ठ भारत स्नेह मिलन कार्यक्रम होगा जो बिहार दिवस के मौके पर आगाज होगा. इसके बाद अगले 5 महीना तक समय-समय पर संगठन की बैठक होगी. इसके अलावा समाज के प्रभावी लोगों को जोड़ने और साधने की कवायद भी होगी.

बीजेपी ने इसके अलावा अलग-अलग जगह पर छठ पूजा समिति के लोगों से भी समय-समय पर बैठकें और विचारों का आदान-प्रदान के लिए कार्यक्रम चलाती रहेगी.बीजेपी नेताओं की तरफ से बिहार के रहने वाले मतदाताओं को अपने जड़ों से जाकर जुड़ने, लोगों से मिलने और बिहार जाकर वोट देने के लिए भी प्रोत्साहित किया जाएगा. इस तरह बीजेपी की रणनीति बिहार चुनाव को जीतने की है, जिसके लिए प्रवासी वोटरों को साधने का बड़ा दांव माना जा रहा है.

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