उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में अभी दो साल का समय है, लेकिन सियासी एजेंडा सेट किया जाने लगा है. दो महीने की माथापच्ची के बाद बीजेपी ने अपने जिला और महानगर अध्यक्षों के नाम का ऐलान शुरू कर दिया है. बीजेपी के यूपी संगठनात्मक 98 जिलों में से 70 जिलों के जिला और महानगर अध्यक्षों के नाम की सूची रविवार को जारी कर दी गई है, जबकि 28 जिला अध्यक्ष और महानगर अध्यक्षों के लिए अभी कुछ दिन और इंतजार करना होगा.
2027 के विधानसभा चुनाव को देखते हुए बीजेपी ने अपने सेनापतियों के जरिए एक मजबूत सोशल इंजीनियरिंग बनाने की कवायद की है, जिसमें 45 जिलों में नए चेहरे को मौका दिया गया है, जबकि 25 जिलों में मौजूदा जिलाध्यक्षों को ही दोबारा मौका दिया गया है. पार्टी ने अपने कोर वोट बैंक माने जाने वाले सवर्ण जातियों का खास ख्याल रखा है तो ओबीसी के साथ संतुलन बनाने की कोशिश की है, लेकिन दलित और महिलाओं को उचित भागीदारी नहीं मिल सकी.
बीजेपी की सोशल इंजीनियरिंग
बीजेपी ने जिला अध्यक्ष और महानगर अध्यक्षों की नियुक्ति में जातीय समीकरण का खासा ख्याल रखा है. बीजेपी ने अपने कोर वोटबैंक पर फोकस करते हुए सवर्ण जातियों को खास महत्व दिया है. बीजेपी के 70 में 39 जिला अध्यक्ष सवर्णों की अलग-अलग जातियों से बनाए गए हैं, इसके बाद ओबीसी से 25 जिला और महानगर अध्यक्ष बनाए हैं. इसके अलावा छह जिला अध्यक्ष दलित समाज से बनाए गए हैं. इस तरह बीजेपी ने सवर्ण, ओबीसी और दलित केमिस्ट्री बनाने की कवायद की गई है.
उत्तर प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने कहा है कि जिला और महानगर अध्यक्ष की नियुक्ति में समाज के सभी वर्गों को जगह दी गई है. इसके अलावा उन्होंने ये भी बताया कि कि सवर्ण, ओबीसी और दलित समाज से कितने-कितने जिला और महानगर अध्यक्ष बनाए गए हैं. बीजेपी ने मुस्लिम समाज से किसी को भी जिला अध्यक्ष को नहीं बनाया है. भूपेंद्र चौधरी की मानें तो करीब 25 जिलाध्यक्षों पर पार्टी भरोसा जताते हुए उन्हें दोबारा जिम्मेदारी सौंपी गई है जबकि 45 नए चेहरे नियुक्त किए हैं.
ब्राह्मण-ठाकुर-बनिया-कायस्थ समीकरण
बीजेपी ने सवर्ण जातियों को सबसे ज्यादा तवज्जो दिया है. इस तरह जिला अध्यक्ष के नियुक्ति में सवर्ण जातियों को महत्व देकर यह पक्का किया है कि सपा किसी भी स्थिति में उसके सवर्ण कोर वोट बैंक में सेंधमारी न लगा सके. इसीलिए बीजेपी ने सवर्णों में सबसे ज्यादा अहमियत ब्राह्मण समाज को दी है. बीजेपी ने 20 ब्राह्मणों को जिला-महानगर अध्यक्ष बनाया है. बीजेपी ने 10 ठाकुर, 4 सवर्ण बनिया, 3 कायस्थ और दो भूमिहार जिला-महानगर अध्यक्ष नियुक्त किए हैं.
बीजेपी ने ब्राह्मण समाज से सोमपाल शर्मा को बरेली, जनार्दन द्विवेदी को गोरखपुर, अशोक उर्फ संजय पांडेय को महाराजगंज, विवेकानंद मिश्र को बस्ती, संजय मिश्रा को बलिया, सुधांशु शुक्ला को अमेठी, अनुराग अवस्थी को उन्नाव, नीरज शर्मा को कासगंज और अभिषेक शर्मा को गौतमबुद्धनगर का जिले बनाया गया है तो आनंद द्विवेदी को लखनऊ महानगर अध्यक्ष नियुक्त किया गया है.
पार्टी ने दो भूमिहार जिला अध्यक्ष बनाए हैं, जिसमें दुर्गेश राय को कुशीनगर और ओम प्रकाश राय को गाजीपुर का जिला अध्यक्ष की कमान सौंपी है. कायस्थ समाज से बीजेपी ने आशीष श्रीवास्तव को प्रतापगढ़ का जिला अध्यक्ष तो देवेश श्रीवास्तव को गोरखपुर महानगर अध्यक्ष नियुक्त किया है. वैश्य समाज से चार जिला-महानगर अध्यक्ष बनाए गए हैं, जिसमें इटावा का अन्नू गुप्ता, गाजियाबाद महानगर का मयंक गोयल, सोनभद्र का नन्दलाल गुप्ता-मेरठ के महानगर अध्यक्ष विवेक रस्तोगी को बनाया है.
ठाकुर समाज से 10 जिला अध्यक्ष
बीजेपी ने ठाकुर समाज से 10 जिला अध्यक्ष बनाए गए हैं- बिजनौर में भूपेंद्र सिंह चौहान, सहारनपुर महानगर में शीतल विश्नोई, नोएडा के महानगर महेश चौहान, आजमगढ़ में ध्रुव सिंह, कन्नौज से वीर सिंह भदौरिया, कानपुर दक्षिण शिवराम सिंह, संतकबीनगर में नीतू सिंह, मछलीशहर का अजय कुमार सिंह और हरदोई का अजीत सिंह बब्बन को अध्यक्ष बनाया गया है.
सवर्ण बीजेपी का कोर वोट बैंक माना जाता है, जो मजबूती के साथ पार्टी के साथ खड़ा हुआ है. यूपी में सवर्ण समाज की भागीदारी 18 फीसदी के करीब है, लेकिन बीजेपी ने संगठन में 55 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी देकर साफ संदेश दिया है. इस तरह बीजेपी ने अपने कोर वोटबैंक के सहारे 2027 के विधानसभा चुनाव जीतने के लिहाज से समीकरण सेट किया है.
ओबीसी में जाने किसे मिली अहमियत?
बीजेपी ने ओबीसी समाज से 25 जिला अध्यक्ष बनाए हैं, जिसमें सबसे ज्यादा कुर्मी समाज को अहमियत की है. पांच कुर्मी समाज को जिला-महानगर अध्यक्ष बनाया है तो मौर्य-कुशवाहा-सैनी समाज से चार जिला अध्यक्ष बनाए गए हैं. इसके अलावा ओबीसी के तहत आने वाली ओबीसी जातियों से चार जिला अध्यक्ष नियुक्त किए गए हैं. इसके अलावा लोध समाज से दो अध्यक्ष बनाए गए हैं. इसके अलावा यादव, बढ़ई, कश्यप, पाल, राजभर जाति से एक-एक जिला अध्यक्ष बनाए गए हैं.
बीजेपी ने कुर्मी समाज से हरीश गंगवार को रामपुर, मिश्री लाल वर्मा को श्रावस्ती, रेणुका सचान को कानपुर देहात, प्रदीप पटेल को झांसी का जिला अध्यक्ष नियुक्त किया गया है. मौर्य-कुशवाहा-सैनी समाज से बीजेपी ने सुधीर सैनी को मुजफ्फरनगर, राम आश्रय मौर्य को मऊ, विजय मौर्य को लखनऊ और मोहनलाल कुशवाह को महोबा का जिला अध्यक्ष बनाया गया है. इसके अलावा लोध समाज से बीजेपी ने ममता राजपूत को मैनपुरी, कल्लू राजपूत को बांदा व फतेहचंद्र को फर्रुखाबाद का जिला अध्यक्ष बनाया गया है.
कश्यप समाज से अमर किशोर कश्यप को गोंडा को पाल समाज से आकाश पाल को मुरादाबाद, विनोद राजभर को लालगंज का जिला अध्यक्ष नियुक्त किया है. ऐसे ही एक यादव समाज से जिला अध्यक्ष बनाया गया है, जो यूपी में ओबीसी की सबसे बड़ी आबादी है. राजू यादव को मथुरा का अध्यक्ष नियुक्त किया है.
जिला अध्यक्ष-महानगर अध्यक्ष की नियुक्त से पहले चरण में बीजेपी ने 2027 के विधानसभा चुनाव को देखते हुए अन्य पिछड़ा वर्ग व सामान्य वर्ग के लोगों को खास तरजीह देकर जातीय और सामाजिक समीकरण के बीच सामंजस्य बिठाने की कोशिश की है. पहली सूची में ओबीसी समाज के 25 लोगों को जिलाध्यक्ष बनाया गया है, जिनकी 35.71 प्रतिशत भागीदारी है, जबकि यूपी में ओबीसी की आबादी करीब 50 फीसदी से भी ज्यादा है.
दलित और महिला को नहीं मिली तवज्जो
बीजेपी सवर्ण और ओबीसी वोटों के समीकरण पर खास तवज्जे दी, लेकिन दलित समाज को उनकी आबादी के लिहाज से जिला संगठन की नियुक्ति में प्रतिनिधित्व नहीं मिला. बीजेपी ने सिर्फ 6 दलित जिला अध्यक्ष नियुक्त किए हैं, जिसमें 3 पासी समाज से हैं तो धोबी-कोरी और कठेरिया समाज से एक-एक जिला अध्यक्ष बनाए गए हैं. उपेंद्रनाथ पासवान को कानपुर ग्रामीण, निर्मल पासवान को प्रयागराज गंगापार, बुद्धीलाल पासी को रायबरेली का जिला अध्यक्ष बनाया गया है. धोबी समाज से सतीश दिवाकर को फिरोजाबाद का जिला अध्यक्ष बनाया है.
यूपी में दलित समाज की आबादी 22 फीसदी है, लेकिन बीजेपी ने सिर्फ 6 जिला अध्यक्ष बनाकर उन्हें 8.57 फीसदी भागीदारी देने का काम किया है. बीजेपी ने पांच महिलाओं को जिला अध्यक्ष बनाया है. महिलाओं को बराबर की भागीदारी देने का दावा करने वाली बीजेपी ने पहली सूची में महज 7.14 फीसदी भागीदारी मिल पाई है. हालांकि, बीजेपी ने दावा किया था कि इस बार महिलाओं की संख्या दोगुनी की जाएगी. यह स्थिति तब है, जब केंद्र सरकार द्वारा लोकसभा और विधानसभा में महिलाओं को एक तिहाई सीट आरक्षित करने के उद्देश्य को पूरा करने के लिए नारी शक्ति वंदन अधिनियम बनाया है.
बीजेपी प्रदेश चुनाव अधिकारी महेन्द्र नाथ पांडेय का कहना है कि शेष 28 जिलाध्यक्षों की सूची में भी महिलाओं को उचित भागीदारी दी जाएगी. उन्होंने बताया कि भाजपा ने पहली बार जिलाध्यक्ष की घोषणा खुले मंच से जिला स्तर पर की है. उन्होंने बताया कि उपचुनावों के कारण 11 जिलों में संगठन चुनाव फरवरी महीने के अंत में कराए गए थे, जिसके कारण लगभग 28 जिलाध्यक्षों की घोषणा करीब एक सप्ताह बाद दूसरे चरण में होगी. इसमें दलित और महिलाओं के साथ ओबीसी का खास ख्याल रखा जाएगा.
2027 का समीकरण साधने का दांव
बीजेपी यूपी के पंचायत चुनाव 2026 और विधानसभा चुनाव 2027 के लिए अपने 70 सेनापति को मैदान में उतार दिए हैं. बीजेपी ने अपने कोर वोटबैंक का ख्याल रखते हुए अहमियत दी है ताकि सपा सेंधमारी न कर सके. इसीलिए सबसे ज्यादा जिला अध्यक्ष ब्राह्मण समाज से बनाए गए हैं, उसके बाद ठाकुर समाज के जिला अध्यक्ष बनाए गए है. इसके अलावापिछड़ी जातियों में भी कुर्मी, लोधी, सैनी, मौर्य, कुशवाह, यादव, राजभर, निषाद सहित सभी प्रमुख जातियों को मौका दिया है.
बीजेपी ने इससे पहले 2023 में 98 में से चार महिला और चार दलित वर्ग के जिलाध्यक्ष बनाए गए थे, लेकिन इस बार थोड़ा इजाफा किया गया है. बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व ने महिला और दलित वर्ग को साधने के 20 फीसदी हिस्सेदारी देने का वादा किया था, लेकिन सिर्फ साढ़े सात फीसदी हिस्सेदारी मिली है. ऐसे में दलितों की संख्या बढ़ाकर सपा के पीडीए को काउंटर करने की कोशिश की है. इसके अलावा कभी मुस्लिम जिलाध्यक्ष ना बनाकर हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण की स्ट्रेटेजी को भी अपनाए रखा है.
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