शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के शब्द पर संसद में बवाल, कनिमोझि की आपत्ति के बाद लिया वापस

संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण आज से शुरू हो गया है. इस सत्र की शुरुआत हंगामेदार हुई है. डीएमके सदस्यों ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की एक टिप्पणी पर विरोध प्रदर्शन किया. उनके विरोध प्रदर्शन के बाद सोमवार को लोकसभा की कार्यवाही लगभग 30 मिनट के लिए स्थगित कर दी गई. शिक्षा मंत्री ने कहा था कि तमिलनाडु सरकार “बेईमान” है और पीएम स्कूल फॉर राइजिंग इंडिया (पीएम एसएचआरआई) योजना को लागू करने के मुद्दे पर पूरी तरह ‘यू-टर्न’ लेकर राज्य के छात्रों का भविष्य “बर्बाद” कर रही है.

पीएम एसएचआरआई योजना पर एक सवाल का जवाब देते हुए, शिक्षा मंत्री प्रधान ने कहा कि डीएमके के नेतृत्व वाली तमिलनाडु सरकार ने केंद्र प्रायोजित योजना को लागू करने पर अपना रुख बदल दिया है, जिसमें केंद्र, राज्य या स्थानीय निकायों के प्रबंधित स्कूलों को मजबूत करने की कल्पना की गई थी. उन्होंने कहा था कि संबंधित राज्य को केंद्र सरकार के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करना होगा कि वो राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 को लागू करेंगे और बदले में केंद्र सरकार उन्हें फंड देगी.

प्रधान ने क्या कहा था?

शिक्षा मंत्री ने कहा, तमिलनाडु सरकार शुरू में एमओयू पर हस्ताक्षर करने के लिए सहमत हो गई थी, लेकिन अब उन्होंने रुख बदल दिया है. जबकि कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश सहित कई गैर-बीजेपी शासित राज्यों ने समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. शिक्षा मंत्री ने डीएमके सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, वे बेईमान हैं और वो तमिलनाडु के छात्रों का भविष्य बर्बाद कर रहे हैं, वो राजनीति कर रहे हैं. मंत्री ने कहा कि एक समय में, तमिलनाडु सरकार पीएम श्री योजना पर सहमत हो गई थी और कई (डीएमके) सांसद, जो उनसे मिलने आए थे उन्होंने उन्हें यह बात बताई थी.

DMK पर क्या आरोप लगाया?

उन्होंने आरोप लगाया, लेकिन जब वे वापस गए, तो उन्होंने यू-टर्न ले लिया. वे छात्रों के जीवन के साथ शरारत कर रहे हैं. वे लोगों को गुमराह कर रहे हैं और तमिलनाडु के छात्रों के साथ अन्याय कर रहे हैं, वे अलोकतांत्रिक, असभ्य हैं.

प्रधान ने कहा कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन भी शुरू में इस योजना को लेकर सहमत थे, लेकिन अचानक कुछ सुपर सीएम सामने आए और उन्होंने यू-टर्न ले लिया, वो सिर्फ राजनीति करना चाहते हैं. उन्होंने कहा, “आज 10 मार्च है, हमारे पास मार्च महीने में अभी भी 20 दिन बाकी हैं.”

पार्टी ने जताया विरोध

शिक्षा मंत्री के इस बयान को लेकर अब पार्टी ने कड़ी आपत्ति जताते हुए केंद्र सरकार के खिलाफ नारे लगाकर कड़ा विरोध दर्ज कराया. अध्यक्ष ओम बिरला ने हंगामा कर रहे सदस्यों से अपनी सीटों पर लौटने और सदन को सामान्य रूप से चलने देने को कहा. स्पीकर बिरला ने कहा कि उन्होंने विपक्षी सदस्यों को सवाल उठाने का मौका दिया है और बाद में मंत्री ने जवाब दिया है, लेकिन अब आप विरोध कर रहे हैं, यह अच्छा नहीं है, आप गलत मिसाल कायम कर रहे हैं, संसदीय प्रक्रियाओं का उल्लंघन न करें.”

डीएमके सांसद कनिमोझी ने कहा, “मैं बहुत दुखी और आहत हूं कि मंत्री (धर्मेंद्र प्रधान) ने संसद सदस्यों और तमिलनाडु के लोगों को असभ्य कहा है. हमारी बैठक में, हमने स्पष्ट रूप से कहा था कि हमारे पास एनईपी के साथ मुद्दे हैं और हम इसे पूरी तरह से स्वीकार नहीं कर सकते हैं. तीन भाषा नीति तमिलनाडु के लोगों को स्वीकार्य नहीं है. तमिलनाडु के सीएम ने प्रधान मंत्री और शिक्षा मंत्री को पत्र लिखकर कहा है कि हमारे पास एनईपी को लेकर कई मुद्दे हैं और इसे पूरी तरह से स्वीकार नहीं किया जा सकता है.

पिछले महीने, स्टालिन ने कहा था कि वह तमिलनाडु में एनईपी को लागू नहीं करने के अपने रुख पर कायम हैं, भले ही केंद्र ने राज्य को 10,000 करोड़ रुपये देने की पेशकश की हो. मुख्यमंत्री ने कहा था कि एनईपी का विरोध सिर्फ “हिंदी थोपने” को लेकर नहीं है बल्कि कई अन्य और वजह भी है जिससे छात्रों के भविष्य पर आने वाले समय में असर पड़ेगा.

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