बदलते मौसम में फ्लू नहीं करेगा परेशान, बस इन छोटी-छोटी बातों का रखें ध्यान

मार्च का महीना चल रहा है और दिन में तेज धूप होने लगी है, लेकिन रात के समय मौसम काफी ठंडा हो रहा है और सर्द हवाएं चल रही हैं. मौसम में ये ठंड-गरम वाला बदलाव सेहत पर काफी असर डालता है और इस वक्त बच्चों की हेल्थ खासतौर पर प्रभावित होती है. बदलते मौसम में जुकाम होना, खांसी, सीने में जकड़न, बुखार महसूस होना, गले में खराश हो जाना जैसी वायरल समस्याएं काफी परेशान कर देती हैं. इससे बचाव के लिए इम्यूनिटी बूस्ट करना तो बेहद जरूरी होता ही है, इसके अलावा कुछ छोटी-छोटी बातों को ध्यान में रखना चाहिए.

मौसम में बदलाव के साथ ही बढ़ता प्रदूषण भी सेहत को बुरी तरह प्रभावित कर रहा है. इससे सांस संबंधिंत समस्याओं में काफी इजाफा होता है. बच्चे वायरल समस्याओं के प्रति ज्यादा संवेंदनशील होते हैं और इस मौसम में निमोनिया होने की संभावना काफी बढ़ जाती है. जिनकों पहले से ही दिक्कत है, उनकी बीमारी भी ट्रिगर हो सकती है, चलिए जान लेते हैं कि वायरल बीमारियों से बचने के लिए किन बातों को ध्यान में रखें.

रोग प्रतिरोधक क्षमता ऐसे करें बूस्ट

इम्यूनिटी बूस्ट करने के लिए रोजाना बच्चों से बड़े तक हल्दी वाला गुनगुना दूध पी सके हैं. इसके अलावा बड़े अपनी डाइट में अदरक, लौंग, काली मिर्च, तुलसी आदि चीजों का काढ़ा शामिल कर सकते हैं. इसके अलावा मौसमी फल खाएं, हरी सब्जियां, बीज, नट्स, सूखे मेवा को भी डाइट का हिस्सा बनाएं.

पर्याप्त पानी पीना है जरूरी

बदलते मौसम में खुद को बीमार होने से बचाना है तो शरीर को हाइड्रेट रखें. इसके लिए भरपूर मात्रा में पानी पिएं, लिक्विड वाली चीजें जैसे सूप, दाल आदि लें. इसके अलावा नारियल पानी पी सकते हैं. सब्जियों का जूस पिया जा सकता है.

हाइजीन का रखें खास ध्यान

वायरल बीमारियों से बचाव के लिए हाइजीन का खास ध्यान रखें, बच्चों को खाने से पहले साबुन से हाथस धोने की आदत डालें, बाहर से आने के बाद हाथ-पैर धोकर और कपड़े बदलकर ही बिस्तर या सोफे पर जाएं. आंखों, नाक और मुंह को बार-बार छूने से बचें और हाथों को सेनेटाइज करें. बच्चों को चूमने से परहेज करें.

आराम करना है बेहद जरूरी

वायरल समस्याओं से बचने के लिए फिजिकल एक्टिविटी करके शरीर को मजबूत बनाना तो जरूरी होता ही है, इसके अलावा आपको पर्याप्त आराम करने की भी जरूरत होती है. सही से नींद न लेने से भी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर पड़ती है और संक्रमण का जोखिम बढ़ता है.

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