राष्ट्र चंडिका न्यूज़,सिवनी। जिले में अतिक्रमण हटाने की प्रशासनिक कार्रवाई को लेकर सवाल उठने लगे हैं। स्थानीय लोगों और कुछ जनप्रतिनिधियों का आरोप है कि प्रशासनिक मशीनरी कुछ चुनिंदा स्थानों पर ही सख्ती दिखा रही है, जबकि अन्य जगहों पर प्रभावशाली लोगों के अवैध निर्माणों को नजरअंदाज किया जा रहा है।
कहीं टूटे झोपड़े, कहीं बच गए बड़े निर्माण
हाल ही में नगर पालिका और राजस्व विभाग की संयुक्त टीम ने बस स्टैंड, बुधवारी बाजार और मुख्य मार्गों पर अतिक्रमण हटाने की मुहिम चलाई। कई ठेले, गुमटियां और छोटे दुकानदारों के अस्थायी निर्माणों को हटा दिया गया, लेकिन दूसरी ओर, बड़े व्यापारी प्रतिष्ठानों और रसूखदारों द्वारा किए गए अतिक्रमणों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
जनता ने उठाए सवाल
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि प्रशासन द्वारा कार्रवाई करते समय भेदभाव किया जा रहा है। छोटे दुकानदारों और कमजोर तबके के लोगों के अतिक्रमण तोड़े जा रहे हैं, लेकिन बड़े व्यापारियों और राजनीतिक रसूख रखने वालों के अवैध निर्माण जस के तस बने हुए हैं। कुछ लोगों ने आरोप लगाया कि प्रभावशाली लोगों को पहले से ही सूचना दे दी जाती है, जिससे वे खुद ही अपने अतिक्रमण हटा लेते हैं और कार्रवाई से बच जाते हैं।
प्रशासन ने दी सफाई
इस मामले में प्रशासन का कहना है कि अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया नियमों के तहत की जा रही है और किसी के साथ भेदभाव नहीं किया जा रहा है। अधिकारियों ने आश्वासन दिया है कि सभी अवैध निर्माणों पर उचित जांच के बाद सख्त कदम उठाए जाएंगे।
भविष्य की रणनीति
नगर प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि जल्द ही पूरे जिले में बड़े स्तर पर अतिक्रमण विरोधी अभियान चलाया जाएगा, जिसमें प्रभावशाली व्यक्तियों के अवैध कब्जों को भी हटाया जाएगा। इसके अलावा, नागरिकों से अपील की गई है कि वे खुद ही अपने अतिक्रमण हटा लें, ताकि जबरन कार्रवाई की जरूरत न पड़े।
जनता की उम्मीदें
स्थानीय लोग उम्मीद कर रहे हैं कि प्रशासन अपनी कार्रवाई में निष्पक्षता बरतेगा और सभी अवैध कब्जों पर समान रूप से कार्रवाई करेगा। यदि ऐसा नहीं हुआ तो विरोध प्रदर्शन की आशंका से भी इनकार नहीं किया जा सकता।