फ्रेंचाइजी वाली चाय: मीठे स्वाद में छिपा ज़हर?
राष्ट्र चंडिका न्यूज़,सिवनी शहरभर में तेजी से खुल रही फ्रेंचाइज़ी चाय दुकानों की लोकप्रियता बढ़ती जा रही है। लोग यहां 5 रुपये की चाय छोड़ 10 से 15 रुपये की चाय पीने के लिए बार-बार आ रहे हैं। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या यह चाय सिर्फ स्वाद की वजह से इतनी मशहूर हो रही है, या इसमें ऐसा कुछ मिलाया जा रहा है जो लोगों को इसकी लत लगाने पर मजबूर कर रहा है? चाय का ऐसा नशा है कि लोग बार-बार इन्हीं दुकानों की ओर खिंचे चले जाते हैं। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि आखिर इस चाय में ऐसा क्या है जो 5 रुपये वाली पारंपरिक चाय से अलग और ज्यादा आकर्षक बनाता है? कहीं यह मीठे स्वाद के पीछे कोई ज़हर तो नहीं? क्या कहीं इस मीठी चाय के जरिए लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ तो नहीं हो रहा?
पारंपरिक चाय बनाम फ्रेंचाइजी चाय
परंपरागत चाय की दुकानों में चाय बनाने की पूरी प्रक्रिया ग्राहकों के सामने होती है। दूध, चायपत्ती, शक्कर और पानी का सही अनुपात मिलाकर चाय तैयार की जाती है, जिसे पीढिय़ों से लोग अपने घरों में भी इस्तेमाल करते आ रहे हैं। बाजार में गुमटियों पर भी इन्हीं सामग्रियों का खुला उपयोग देखा जा सकता है।
इसके विपरीत, फ्रेंचाइजी वाली चाय की दुकानों में चाय बनाने की प्रक्रिया पूरी तरह से गुप्त रहती है। ग्राहकों को यह जानकारी नहीं होती कि उनकी चाय में कौन-कौन से पदार्थ मिलाए गए हैं। दुकानदार भी इस बारे में कोई स्पष्ट जानकारी सार्वजनिक रूप से नहीं देते।
क्या है चाय का नशा?
यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि आखिर ऐसी कौन-सी सामग्री इन फ्रेंचाइजी चाय में मिलाई जा रही है, जिससे लोग 5 रुपये की साधारण चाय छोड़कर 10-15 रुपये खर्च कर बार-बार इन्हीं दुकानों की ओर आकर्षित हो रहे हैं।
क्या चाय में मिलाया जा रहा कोई खतरनाक तत्व?
विशेषज्ञों की मानें तो कुछ दुकानों में कृत्रिम मिठास (सोडियम सैक्रीन, एस्पार्टेम), हानिकारक रंग और केमिकल युक्त चायपत्ती का उपयोग किया जा सकता है। ये सभी पदार्थ धीरे-धीरे शरीर में कैंसर, किडनी फेलियर और हार्मोनल असंतुलन जैसी गंभीर बीमारियों को जन्म दे सकते हैं। कई बार ज्यादा मात्रा में मिठास और कृत्रिम स्वाद मिलाने से लोग इस चाय की आदत डाल लेते हैं और बार-बार पीने के लिए आकर्षित होते हैं।
महंगे दाम, लेकिन फिर भी भीड़ क्यों?
फ्रेंचाइज़ी चाय की दुकानों पर एक सामान्य चाय से 2-3 गुना अधिक कीमत होती है। बावजूद इसके, लोग इन्हीं दुकानों पर लौटकर आते हैं। सवाल यह उठता है कि क्या सिर्फ ब्रांडिंग और माहौल की वजह से यह हो रहा है, या फिर चाय में कुछ ऐसा मिलाया जा रहा है जो धीरे-धीरे लोगों को इसकी लत लगा रहा है?
खाद्य विभाग करेगा जांच
सिवनी खाद्य एवं औषधि विभाग ने इन चाय दुकानों की जांच करने की योजना बनाई है। कई जगहों से चाय के सैंपल लिए जाएंगे और इनकी प्रयोगशाला में जांच की जाएगी। यदि इनमें हानिकारक तत्व पाए जाते हैं, तो संबंधित दुकानों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
क्या कह रहे स्वास्थ्य विशेषज्ञ?
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि अगर चाय में कृत्रिम मिठास, हानिकारक केमिकल या किसी नशीले तत्व का इस्तेमाल किया जा रहा है, तो यह स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक हो सकता है। लंबे समय तक इस तरह की चाय पीने से लिवर डैमेज, मोटापा, डायबिटीज और यहां तक कि कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है।
जनता से अपील
प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने जनता से अपील की है कि वे ब्रांडेड दुकानों की चाय का सेवन करते समय सतर्क रहें और अगर किसी चाय में स्वाद या रंग को लेकर संदेह हो, तो तुरंत इसकी सूचना संबंधित विभाग को दें।
अगर फ्रेंचाइज़ी चाय दुकानों पर बेची जा रही महंगी चाय में स्वास्थ्य के लिए हानिकारक तत्व मिलाए जा रहे हैं, तो यह एक गंभीर मामला है। प्रशासन को इसे लेकर सख्त जांच करनी चाहिए, ताकि लोग किसी अनजाने ज़हर का सेवन करने से बच सकें। जब तक जांच पूरी नहीं होती, लोगों को भी सतर्क रहने की जरूरत है। सिवनी में फ्रेंचाइजी चाय की दुकानों का बढ़ता चलन एक नए तरह के उपभोक्ता व्यवहार को दर्शाता है। लेकिन अगर यह सिर्फ स्वाद और ब्रांडिंग तक सीमित नहीं है और इसमें कोई स्वास्थ्य के लिए खतरनाक तत्व मिलाए जा रहे हैं, तो यह एक गंभीर मुद्दा है। ग्राहकों को भी जागरूक होने की जरूरत है और यह जानने की कोशिश करनी चाहिए कि उनकी चाय में क्या-क्या मिलाया जा रहा है। वहीं, प्रशासन को भी इस पर कड़ी निगरानी रखनी चाहिए, ताकि किसी भी तरह के संभावित खतरे को समय रहते टाला जा सके।