हिंदू धर्म में होलाष्टक की अवधि अशुभ मानी गई है. होलाष्टक आठ दिनों का होता है. हिंदू पंचांग के अनुसार, होली से पहले फाल्गुन माह की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से होलाष्टक की शुरुआत होती है. इस साल माह की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 7 मार्च को थी. यानी होलाष्टक 7 मार्च से शुरू हो चुका है. होलाष्टक का समापन होलिका दहन के साथ होता है. इसलिए इसका समापन 13 मार्च को हो जाएगा. क्योंकि 13 मार्च को होलिका दहन किया जाएगा.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, होलाष्टक की आठ दिनों की अवधि में कोई शुभ और मांगलिक काम जैसे-विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन आदि नहीं होते हैं. इस समय में नया कारोबार शुरु करना, नया घर लेना, सोने-चांदी की खरीदारी करना और नए घर का निर्माण कार्य शुरू करना वर्जित माना गया है. हालांकि होलाष्टक की अवधि पूजा-पाठ और मंत्रों के जाप पर कोई रोक नहीं है, बल्कि इस दौरान कुछ विशेष मंत्रों का जाप करने से मन को शांति मिलती है.
ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।
ये मंत्र जगत के पाहनहार भगवान श्री हरि विष्णु का मंत्र है.अगर कोई खुद को समस्याओं में घिरा हुआ पा रहा है, तो उसको होलाष्टक के आठ दिनों में जगत के पाहनहार भगवान श्री हरि विष्णु के इस मंत्र का जाप करना चाहिए. ये मंत्र तमाम समस्याओं से छुटकारा दिलाता है. साथ ही मन को शांति प्रदान करता है.
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।।
ये महामृत्युंजय मंत्र है. होलाष्टक के दिनों में अगर इस मंत्र का जाप किया जाता है, तो नकारात्मक और बुरी शक्तियों से मुक्ति मिलती है. साथ ही भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है.
लक्ष्मी मंत्र: ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मी नमः
अगर घर में आर्थिक तंगी है, तो होलाष्टक के इन दिनों में इस मंत्र का जाप करना बहुत लाभकारी साबित हो सकता है. मान्यता है कि अगर होलाष्टक के दिनों में इस मंत्र का जाप किया जाता है, तो माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और घर से आर्थिक तंगी दूर होती है.
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र प्रचोदयात्।।
ये रुद्र गायत्री मंत्र है. होलाष्टक के दिनों में अगर इस मंत्र का जाप किया जाता है, तो भय से मुक्ति मिल जाती है.
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