Advocate Amendment Bill 2025 का विरोध, दिल्ली हाईकोर्ट के वकील सोमवार को नहीं करेंगे काम

अधिवक्ता (संशोधन) विधेयक, 2025 के मसौदे का पूरे देश में एकवोकेट और बार एसोसिएशन की ओर से विरोध किया जा रहा है. अब दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के सदस्यों ने अधिवक्ता (संशोधन) विधेयक, 2025 के विरोध में 24 फरवरी को न्यायिक कार्यों में भाग नहीं लेने का ऐलान किया है. शनिवार को दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की कार्यकारिणी की बैठक हुई. इस बैठक में सर्वसम्मति से यह फैसला लिया गया है कि 24 फरवरी को बार एसोसिएशन के सदस्य वर्चुअली या फिजिकली रूप से न्यायिक काम में हिस्सा नहीं लेंगे.

इसके साथ ही दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने पूरे देश में प्रस्तावित विधेयक को लेकर जो विरोध चल रहा है, उस विरोध को लेकर एकजुटता जताई है.

बता दें कि देश के विभिन्न बार एसोसिएशन की ओर से इस संशोधन विधेयक का विरोध किया जा रहा है. बार एसोसिएशन का कहना है कि अधिवक्ता अधिनियम, 1961 में संशोधन करने का प्रस्ताव करने वाला यह विधेयक परिषद की शक्ति और विशेषाधिकार छीन लेगा. यह निर्वाचित सदस्यों की शक्ति को खत्म करने और पिछले दरवाजे से नियंत्रण हासिल करने का प्रयास है.

दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने विधेयक का किया विरोध

दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि 17 फरवरी को प्रस्तावित एडवोकेट एमेंडमेंट बिल, 2025 को लेकर कड़ा विरोध जताया था. बार एसोसिएशन के सदस्यों का आरोप है कि इस संशोधन के माध्यम से केंद्र सरकार ने अधिवक्ताओं के अधिकार और विशेषाधिकार को कम करने का प्रयास किया है.

संशोधन विधेयक के मसौदे से साफ है कि वकील हड़ताल में तभी भाग ले सकते हैं, जब इससे न्याय प्रशासन में बाधा न आए. विधेयक में आगे कहा गया है कि हड़ताल इस तरह से होनी चाहिए “जिससे अदालती कार्यवाही बाधित न हो या मुवक्किलों के अधिकारों का उल्लंघन न हो.’

बार एसोसिएशन के सदस्यों का कहना है कि प्रस्तावित संशोधन उन्हें विरोध प्रदर्शन के दौरान हड़ताल करने के उनके अधिकार से वंचित करता है. नतीजतन, बार काउंसिल ने बैठक में फैसला किया कि एक दिन का काम रोककर विधेयक का विरोध किया जाएगा. बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने अधिवक्ता संशोधन विधेयक, 2025 के मसौदे को लेकर केंद्र सरकार के समक्ष आपत्ति जताई है.

बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने केंद्रीय मंत्री को लिखा था पत्र

बुधवार को केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को लिखे पत्र में बीसीआई के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा ने चिंता व्यक्त की कि यह विधेयक बार की स्वायत्तता और स्वतंत्रता को कमजोर कर सकता है. एक दिन बाद, मनन कुमार मिश्रा, जो भाजपा से राज्यसभा सांसद भी हैं, ने सभी बार एसोसिएशनों और राज्य बार काउंसिलों से हड़ताल या किसी भी तरह के विरोध प्रदर्शन से दूर रहने का आग्रह किया, जिससे न्याय प्रशासन बाधित हो सकता है.

दिल्ली बार काउंसिल, दिल्ली के सभी जिला न्यायालय बार एसोसिएशन, दिल्ली उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन और दिल्ली के जिला बार एसोसिएशन को लिखे पत्र में उन्होंने कहा कि केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने बार के साथ अपनी बैठक के दौरान आश्वासन दिया था कि ऐसा कोई प्रावधान नहीं बनाया जाएगा, जो कानूनी पेशे के हितों या इसकी स्वायत्तता के खिलाफ हो, लेकिन मंत्री के आश्वासन के बावजूद दिल्ली बार एसोसिएशन ने सोमवार को कोर्ट के कामकाज में हिस्सा नहीं लेने का ऐलान किया है.

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