शादी के कार्ड पर दुल्हन का नाम देख भड़के लोग, बोले- 31 हजार जुर्माना दो और बकरा खिलाओ

मध्य प्रदेश के बालाघाट (Balaghat) में एक युवक को शादी करना भारी पड़ गया. युवक की शादी का कार्ड (Shadi Card Viral) देख समाज के लोग ऐसे भड़के कि उन्होंने इस परिवार का बहिष्कार कर दिया. समाज के लोगों ने मीटिंग बुलाकर 31 हजार रुपये का जुर्माना देने की मांग की. इसके अलावा, समाज में उन्हें वापस लेने के नाम पर एक बकरा खिलाने की मांग तक रख दी गई.

मामला अंतरजातीय विवाह का है. मालाधारी (रविदास) समाज के एक परिवार ने अपने बेटे की शादी दलित समाज की लड़की से कराई. इस पर मालाधारी समाज ने पूरे परिवार का बहिष्कार कर दिया. इस मामले में पीड़ित परिवार के मुखिया और पाटन उपजेल में प्रधान आरक्षक श्रीराम मालाधारी ने मानव अधिकार आयोग और सामाजिक कार्यकर्ता फिरोजा खान से शिकायत की है. उन्होंने बताया कि वह पाटन जबलपुर के उपजेल में प्रधान आरक्षक के पद पर है. 15 फरवरी को उनके बेटे विशाल मालाधारी का विवाह कोसमी निवासी एससी समाज की पूजा मेश्राम से हुआ था. विशाल बीए और पूजा मेश्राम ने एमएससी और बीएड पास है.

समाज के लोगों ने रखी ये शर्त

शादी का कार्ड बांटने के दौरान ही समाज के लोगों ने विरोध शुरू कर दिया था. गर्रा गांव में रहने वाले उन्ही के समाज के लोग यह कहकर विरोध कर रहे थे कि अपने समाज की लड़की न मांगते हुए बेटे के लिए मेश्राम (दलित) परिवार की बहू मांग रहा है. समाज के लोगों ने मीटिंग बुलाकर 31 हजार रुपये का जुर्माना देने की मांग की. इसके अलावा, समाज में उन्हें वापस लेने के नाम पर एक बकरा खिलाने की मांग रख दी गई. समाज के लोगों ने धमकी दी कि अगर वह इस शर्त को नहीं मानेंगे तो वे शादी में नहीं आएंगे और दूसरों को भी रोकेंगे. शादी में आने वालों पर भी 11 हजार रुपये का जुर्माना और बकरा देने की शर्त रखी गई.

दामाद के साथ की गई गाली-गलौच

श्रीराम मालाधारी ने बताया कि उनके दामाद ने समाज के लोगों को समझाने की बहुत कोशिश की, लेकिन उनके साथ अभद्रता और गाली-गलौज की गई. उन्हें परिवार की सुरक्षा की चिंता है, क्योंकि वे नौकरी के कारण बाहर रहते हैं. बहुत समझाने के बाद भी समाज के लोग शादी में शामिल नहीं हुए. अब पीड़ित परिवार का मानना है कि उनकी मान प्रतिष्ठा धूमिल हुई है. इससे मानसिक रूप से प्रताड़ित महसूस कर रहे हैं. उन्होंने पूरे मामले की जांच करवाकर न्याय दिलाए जाने की मांग की है. वहीं, मानव अधिकार आयोग मित्र फिरोजा खान ने बताया कि ऐसे मामले गैरकानूनी है. इसके लिए सजा का प्रावधान है.

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