उत्तर प्रदेश विधानसभा के बजट सत्र के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक क्विंटल धान को पैदा करने में किसानों को आने वाले खर्च का ब्यौरा देते हुए कहा कि हमारी सरकार किसानों को लागत का डेढ़ गुना रुपया देती है. दरअसल, नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय ने सरकार से पूछा था कि क्या सरकार ने धान और गेहूं का लागत मूल्य निकाला है और वह प्रति क्विंटल कितना है? इस पर सीएम योगी आदित्यनाथ ने खुद ही जवाब दिया.
विधानसभा में सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि एक क्विंटल धान पैदा करने में किसानों का 1100 रुपये खर्च आता है, जबकि सरकार उसे एमएसपी 2300 रुपये देती है, ऐसे ही गेहूं का है. एक क्विंटल गेहूं की लागत 1100 से 1200 आती है और सरकार इसका एमएसपी 2300 से 2400 देती है. पहली बार किसानों को सम्मान मिला है और DBT के माध्यम से किसानों के खाते में सीधा पैसा जा रहा है. दलहन-तिलहन के लिए भी अतिरिक्त आमदनी किसान को हो सकती है.
’10 दिन में हो रहा गन्ना किसान का भुगतान’
इससे पहले सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा, ‘यह वही प्रदेश है, जहां 2017 से पहले किसान आत्महत्या करता है, आज ऐसा नहीं है, गन्ना किसानों को 10 दिन मे भुगतान हो रहा है. उत्तर प्रदेश आज सर्वाधिक इथेनॉल प्रोडक्शन करने वाला राज्य है. उत्तर प्रदेश फूड प्रोसेसिंग में पीछे था, आज किसान उन्नत हो रहे हैं. टूरिज़्म मे पिछले वर्ष 65 करोड़ लोग प्रदेश आये थे, जबकि इस वर्ष अकेले महाकुम्भ में 60 करोड़ लोग प्रदेश आए हैं. आज देश-दुनिया, यूपी के साथ जुड़ने की ओर है.’
जानें महाकुंभ से होगी कितने करोड़ की ग्रोथ
सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा, ‘उत्तर प्रदेश का ग्रोथ रेट देश मे सर्वाधिक अच्छी ग्रोथ रेट है. इस देश ने प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में 10 साल में 25 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से उबारने का काम किया, इसी तरह उत्तर प्रदेश सरकार ने 10 साल में 6 करोड़ लोगों को गरीबी से उबारा, अकेले महाकुंभ का आयोजन उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था में 3 लाख करोड़ की ग्रोथ करने जा रहा है. महिलाओं को हर सेक्टर में मौका दिया जा रहा है.’
लाखों श्रमिकों को एमएसएमई से जोड़ा
समाजवादी पार्टी पर निशाना साधते हुए सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा, ‘उत्तर प्रदेश के प्राकृतिक संसाधनों के ओतप्रोत राज्य था. आपकी समाजवादी सरकार ने इसको बीमार बना दिया था, वह आने वाले समय में यह प्रदेश बहुत ऊंचाई पर जाने वाला है. उत्तर प्रदेश को विरासत में बहुत सारी उपलब्धि प्राप्त हुई थी, लेकिन उपेक्षित पड़ा था. कोरोना काल मे जब लाखों श्रमिक उत्तर प्रदेश लौटकर आये तो हमने उन्हें MSME से जोड़ा उन्हें उनके स्थान पर ही रोजगार मिला.’
Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.