मिट्टी का घर, मिट्टी का चूल्हा, अब तक नहीं मिली प्रोत्साहन राशि… भारत को वर्ल्ड चैंपियन बनाने वाली मोनिका की कहानी

भारत को विश्व विजेता बनाने वाली खो-खो चैंपियन मोनिका का घर मिट्टी का है. बिहार की रहने वाली मोनिका मिट्टी के ही चूल्हे पर खाना बनाती है. बांस की लकड़ी की टूटी फूटी छत मोनिका के परिवार की माली हालत को दर्शाता है. मोनिका ने खो-खो वर्ल्ड कप में भारत का झंडा तो जरूर ऊंचा किया लेकिन उसके परिवार की जिंदगी अब तक नहीं बदल पाई है. न घर में सरकारी योजनाओं का लाभ है न ही मोनिका को अब तक प्रोत्साहन राशि मिली है. घर मे मिट्टी का चूल्हा फूंकती हौसलों और उम्मीदों से भरी लड़की मोनिका ने देश का मान बढ़ाया है.

मोनिका ने बीते 19 जनवरी को खो खो की भारतीय टीम में वर्ल्ड कप में 11 नवंबर की जर्सी में जलवा बिखेर दिया था. मोनिका ने भारतीय टीम को शुरुआत से ही लीड में रखा जिस वजह से टीम इंडिया की वुमन टीम वर्ल्ड चैंपियन बनी, लेकिन मोनिका के घर की स्थिति बेहद खराब है. दिल्ली से भागलपुर लौटने पर वह अब भी टूटे फूटे घर में रह रही हैं.

चूल्हा पर खाना बनाने को मजबूर

मोनिका के परिवार को अब तक न ही प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ मिला है और न ही उज्ज्वला योजना के तहत गैस कनेक्शन मिला है. ऐसे में वह मिट्टी के चूल्हा पर खाना बनाने को मजबूर हैं. हालांकि मोनिका को विश्वास है की सरकार उन्हें मदद करेगी. महिला खो खो टीम में बिहार से इकलौती खिलाड़ी मोनिका को सरकार से अब तक कोई प्रोत्साहन राशि नहीं मिला है. हालांकि मोनिका को सरकार की ओर से चलाई जा रही योजना मेडल लाओ नौकरी पाओ का लाभ मिलने की उम्मीद मोनिका को है.

पूरे देश को किया गौरवान्वित

बिहार राज्य खेल प्राधिकरण के सीईओ रवीन्द्रन शंकरन ने मोनिका का हौसला अफजाई करते हुए उन्हें सुविधा मिलने का भरोसा दिलाया है. भारतीय वूमेन टीम को खो खो वर्ल्ड कप जिताने में अपनी अहम भूमिका निभाने वाली मोनिका भागलपुर जिला के नवगछिया के गोपालपुर प्रखण्ड अंतर्गत डिमहा गांव से आती है. इस गांव की तंग गलियों से जर्जर मकान से निकल मोनिका ने पूरे देश को गौरवान्वित किया है.

मोनिका के पिता विनोद साह बेहद सामान्य किसान हैं पिता ने दिल्ली में सब्जी बेचकर रिक्शा चलाकर मोनिका को पढ़ाया आगे बढ़ाया उन्होंने समाज के ताने बाने भी सुने कुछ लोगों की ओछी मानसिकता को भी झेला, लेकिन इन बातों को मोनिका किनारे करती गयी और आज उसने ऐसा कर दिखाया कि जो कभी नकारात्मक बातें करते थे आज उनके घर पर बैठ उसकी तारीफ करते नहीं थक रहे हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलना चाहती हैं मोनिका

मोनिका ने TV9 से बातचीत में बताया कि एक वक्त ऐसा था जब पांव में जूट नहीं थे ढाई सौ के जूते खरीदना भी बहुत मुश्किल होता था. टी-शर्ट केवल एक ही थी वो भी डबल एक्सएल जिसे बार-बार धोकर पहनती थी. गांव के लोग पापा मम्मी को कहते थे बेटी की शादी करने की उम्र है कहां खेलने भेज दिया, लेकिन खुद पर भरोसा था और घरवालों ने साथ दिया जिससे आज यहां तक पहुंच सकी. आगे नेशनल गेम्स एशियन गेम्स में खो खो खेलना है. साल 2036 में भारत मे ओलंपिक होगा उसमें खो खो शामिल होगा तो वह भी हमारा लक्ष्य है यहीं नहीं रुकेंगे आगे बढ़ते रहेंगे. मोनिका प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलना चाहती हैं.

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