देश ने चालू वित्त-वर्ष 2025 के अप्रैल से लेकर जनवरी के टाइम पीरियड के बीच 1.55 लाख करोड़ रुपये का स्मार्टफोन एक्सपोर्ट किया है. जिसने एक और रिकॉर्ड तोड़ दिया. सरकार की उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के तहत पिछले साल 1.31 लाख करोड़ रुपये के स्मार्टफोन एक्सपोर्ट किए गए थे, जिसका रिकॉर्ड इस साल टूट गया है. इसके अलावा, जनवरी 2025 में सबसे ज्यादा एक्सपोर्ट दर्ज किया गया. इसमें सबसे ज्यादा एक्सपोर्ट एपल के फोन का था.
इस महीने भारत से विदेशों में करीब 25,000 करोड़ रुपये के स्मार्टफोन भेजे गए, जो कि पिछले साल जनवरी 2024 के मुकाबले 140 फीसदी अधिक है. भारत जहां एक दशक पहले स्मार्टफोन एक्सपोर्ट के मामले में जहां 67वें पायदान पर था वह अब 2 नंबर पर आ गया है. देश के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री (MeitY) अश्विनी वैष्णव ने कहा है कि उन्हें उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2025 के दौरान स्मार्टफोन निर्यात 20 बिलियन डॉलर या 1.68 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा. जनवरी तक के 10 महीनों में एक्सपोर्ट वित्त वर्ष 24 की इसी अवधि में उद्योग द्वारा हासिल किए गए 99,120 करोड़ रुपये के स्मार्टफोन निर्यात से 56% अधिक है.
एपल की रही प्रमुख भूमिका
स्मार्टफोन के एक्सपोर्ट में सबसे ज्यादा योगदान एपल के हैंडसेटों का रहा. 70% का योगदान एपल के कुछ आईफोन विक्रेताओं द्वारा दिया गया, जबकि तमिलनाडु से संचालित फॉक्सकॉन ने लगभग आधा योगदान दिया. फॉक्सकॉन से निर्यात में पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 43% की वृद्धि देखी गई.
वहीं 22% हिस्सा आईफोन विक्रेता टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स से आया, जो विस्ट्रॉन से अधिग्रहण के बाद अपनी कर्नाटक इकाई में उत्पादन में तेजी ला रहा है, जबकि 12% तमिलनाडु स्थित पेगाट्रॉन से आया, जिसमें टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स ने हाल ही में हिस्सेदारी हासिल की है. कुल स्मार्टफोन निर्यात में लगभग 20% योगदान सैमसंग का था. शेष हिस्सा घरेलू कंपनियों और व्यापारिक निर्यात का है.
दूसरे पायदान पर पहुंचा
देश जहां एक दशक पहले फोन के एक्सपोर्ट के मामले में 67वें नंबर पर था. वह अब दूसरे नंबर पर आ गया है. अप्रैल 2020 में शुरू हुई पीएलआई स्कीम से निर्यात में तेजी देखने को मिली है. फोन का निर्यात वित्त वर्ष 21 में 23,390 करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 22 में 47,340 करोड़ रुपये हो गया था, जो लगभग दोगुना है. वहीं, वित्त वर्ष 24 तक निर्यात बढ़कर 1.31 लाख करोड़ रुपये हो गया था और वह आंकड़ा चालू वित्त वर्ष में 1.55 लाख करोड़ तक पहुंच गया है.
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