चलिए शादी की तारीख बताइए…उत्तर प्रदेश की कानपुर कोर्ट ने एक महिला से ये सवाल पूछा. महिला इस सवाल का जवाब नहीं दे पाई. इसके बाद कोर्ट ने उसकी ओर से दायर मुकदमे को खारिज कर दिया. महिला ने अपने पति से तलाक और दस लाख रुपए गुजारा भत्ता देने का मुकदमा दर्ज करवाया था. केस पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि जब शादी की तारीख ही याद नहीं है तो खर्च के लगाए गए दस्तावेज को कैसे सही माने.
महिला का आरोप था कि जिस युवक को बैंक का बाबू बताकर शादी की गई थी, शादी के बाद पता चला कि वह बैंक में चपरासी है. कानपुर की पारिवारिक कोर्ट में महिला ने आरोप लगाया कि शादी के बाद से पति और ससुराल वाले कम दहेज की बात कहकर प्रताड़ना करते थे, जबकि शादी में दस लाख रुपए खर्च हुए थे. अपने दावे के समर्थन में महिला ने दस्तावेज भी लगाए थे.
महिला को शादी की तारीख भी याद नहीं थी
अधिवक्ता अनूप शुक्ला ने बताया कि महिला ने जिरह के दौरान यह स्वीकार किया कि उसको शादी की तारीख याद नहीं है. महिला ने यह भी स्वीकार किया कि उसका पति तो उसको रखना चाहता है, लेकिन वो खुद नहीं रहना चाहती. महिला ने अपने गुजारा भत्ते के दावे में खर्चे के दस्तावेज लगाए थे. इस पर कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि जब आपको शादी की तारीख याद नहीं है, तो कैसे मान लिया जाए कि यह दस्तावेज सही है. कोर्ट ने यह कहते हुए मुकदमे को खारिज कर दिया.
पति पर लगाया था मारपीट का आरोप
महिला ने अपने पति के ऊपर यह आरोप भी लगाया था कि उसका पति उसके साथ मारपीट करता है. लेकिन इस सम्बन्ध में कोई भी शिकायत पुलिस में नहीं की गई थी. इसको आधार मानते हुए कोर्ट ने यह दलील भी खारिज कर दी.
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