अमेरिकाः खराब मौसम में शपथ ग्रहण, 2 घंटे का लंबा भाषण, सर्दी लगी और 31 दिन में ही हो गई राष्ट्रपति हैरिसन की मौत

अमेरिका अपने नए राष्ट्रपति के स्वागत को तैयार है. डोनाल्ड ट्रंप आज दूसरी बार राष्ट्रपति पद की शपथ ले रहे हैं. पिछली बार की तुलना में वह इस बार खुले स्थान पर शपथ नहीं लेंगे, बल्कि बंद जगह पर इसका आयोजन किया जाएगा. अमेरिका में 40 साल के बाद शपथ ग्रहण समारोह के स्थल में बदलाव किया गया है. वजह है यहां का खराब मौसम. बर्फीले तूफान और भीषण ठंड की वजह से बंद जगह पर शपथ दिलाई जाएगी. इसी बर्फीले तूफान ने अमेरिका के एक राष्ट्रपति की जान ले ली थी, और शपथ ग्रहण के महज 31 दिन बाद ही उनकी मौत हो गई थी.

राजधानी वाशिंगटन डीसी में मौसम बेहद खराब है. वहां पर तापमान में लगातार गिरावट आ रही है. इस समय तापमान 2 डिग्री सेल्सियस बना हुआ है. बर्फीले तूफान और भारी बर्फबारी की आशंका लगातार बनी हुई है. ऐसे में शपथ ग्रहण समारोह को खुले में आयोजित नहीं कराई जा रही है.

40 साल बाद आयोजन स्थल में बदलाव

अमेरिका में 1985 के बाद ऐसा पहली बार होगा जब शपथ ग्रहण समारोह किसी बंद कमरे में कराया जाएगा. यह समारोह यूएस कैपिटल के अंदर होगा. समारोह में दुनियाभर की कई दिग्गज हस्तियां शामिल हो रही हैं. डोनाल्ड ट्रंप ने पहले ही कह दिया था कि खराब मौसम को देखते हुए शपथ ग्रहण कार्यक्रम को खुले में नहीं कराया जाएगा. इससे पहले रोनाल्ड रीगन ने खराब मौसम की वजह से शपथ ग्रहण समारोह के आयोजन स्थल में बदलाव किया था.

खराब मौसम और वाशिंगटन में बहने वाली बर्फीली हवा और बारिश ने एक राष्ट्रपति की जान ले ली थी. वह पद की शपथ लेने के करीब एक महीने बाद ही दुनिया से चल बसे. तब राष्ट्रपति पद का शपथ ग्रहण 20 जनवरी की जगह 4 मार्च को हुआ करता था.

ट्रेन से वाशिंगटन आने वाले पहले राष्ट्रपति

बात 4 मार्च 1841 की है. गुरुवार का दिन था. अमेरिका के नौवें राष्ट्रपति चुने गए विलियम हेनरी हैरिसन को राष्ट्रपति पद की शपथ लेनी थी. यह शपथ ग्रहण समारोह राजधानी वाशिंगटन, डीसी में यूनाइटेड स्टेट्स कैपिटल के ईस्ट पोर्टिको में हुआ था. शपथ लेने के लिए हैरिसन ओहियो से ट्रेन के जरिए वाशिंगटन पहुंचे. वह ट्रेन से शपथ लेने के लिए आने वाले देश के पहले निर्वाचित राष्ट्रपति थे.

68 साल 23 दिन की उम्र में हैरिसन को जिस दिन राष्ट्रपति पद की शपथ लेनी थी, उस दिन राजधानी में मौसम बेहद खराब था. वहां बर्फली हवाएं चल रही थीं और दोपहर का तापमान 9 डिग्री सेल्सियस यानी 48 °F के करीब था, लेकिन निर्वाचित राष्ट्रपति ने शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए ओवरकोट, टोपी या दस्ताने कुछ भी नहीं पहना. उनकी पत्नी बीमार थीं और वह समारोह में शामिल नहीं हो सकी थीं.

सफेद घोड़े पर सवार हो पहुंचे कैपिटल

जेसीसीआईसी (Joint Congressional Committee on Inaugural Ceremonies) के अनुसार, उस समय अधिकतर राष्ट्रपति अपने शपथ ग्रहण समारोह में बग्घी पर सवार होकर जाते थे, जबकि हैरिसन ने व्हाइट हाउस से कैपिटल तक की यात्रा अपने करीबी राजनीतिक सहयोगियों के साथ एक सफेद घोड़े पर सवार होकर की थी.

हालांकि हैरिसन को इस मौसम में रहने का खासा अनुभव था. वह बतौर सैनिक और किसान के रूप में इससे भी खराब मौसम में रहने के आदी थे. इसलिए उन्होंने खुले स्थान पर शपथ ग्रहण के लिए कोई औपचारिक तैयारी नहीं की और गर्म कपड़े कोट या टोपी पहने बगैर ही राष्ट्रपति पद की शपथ ली. लेकिन जब वह शपथ ले रहे थे तब वह युवा नहीं थे और उनकी उम्र 70 के करीब हो गई थी.

इतिहास का दिया सबसे लंबा भाषण

शपथ ग्रहण के बाद हैरिसन ने सर्द मौसम में करीब 2 घंटे का अपना लंबा भाषण दिया. हैरिसन का यह भाषण अमेरिकी इतिहास में शपथ ग्रहण के बाद सबसे लंबा भाषण बना. उन्होंने बतौर राष्ट्रपति अपने पहले संबोधन में 8,445 शब्दों का भाषण दिया. उन्होंने खुद ही अपना यह भाषण लिखा था, जिसे भविष्य के विदेश मंत्री डैनियल वेबस्टर ने ठीक किया था. बड़ी बात यह थी कि निवर्तमान राष्ट्रपति मार्टिन वैन ब्यूरन, हैरिसन के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल नहीं हुए थे. वे ऐसा करने वाले तब अमेरिका के तीसरे राष्ट्रपति (जॉन एडम्स और जॉन क्विंसी एडम्स 2 अन्य राष्ट्रपति) बने थे.

अपने लंबे भाषण के बाद राष्ट्रपति हैरिसन वहां पर आयोजित रिसेप्शन में शामिल होने लग गए. बताया जाता है कि इस दौरान उनके कपड़े गीले हो गए थे और इस वजह से उन्हें ठंड लग गई. फिर कुछ दिनों में ठंड सर्दी में बदल गई. इसके बाद उन्हें निमोनिया हो गया.

जीवित सांपों का भी इस्तेमाल

राष्ट्रपति की तबीयत बिगड़ने के बाद डॉक्टरों ने उनका इलाज शुरू किया. लेकिन तब मेडिकल सुविधाएं खास उत्तर स्तर की नहीं थीं. millercenter.org के अनुसार, उनकी बीमारी ठीक करने के लिए गर्म सक्शन कप (suction cups) के जरिए गर्मी दी गई, साथ ही उनके शरीर से खून निकाला गया, जिससे हैरिसन और कमजोर होते चले गए.

उनकी बिगड़ती स्थिति को देखते हुए डॉक्टरों ने अंतिम उपाय के रूप में जीवित सांपों का इस्तेमाल किया किया, लेकिन यह कारगर नहीं साबित नहीं हुआ. हालांकि यह तरीका तब अमेरिका के चर्चित तरीकों में से एक माना जाता था.

नई रिसर्च में क्या दावा

राष्ट्रपति हैरिसन की मौत का आधिकारिक कारण उनके डॉक्टर ने निमोनिया बताया था, लेकिन ऑक्सफोर्ड एकेडमिक की ओर से प्रकाशित क्लिनिकल इन्फेक्शियस डिजीज के जर्नल के अक्टूबर 2014 के अंक में यह दावा किया गया है कि राष्ट्रपति हैरिसन की मृत्यु उस समय वाशिंगटन डीसी में सैनिटेशन की खराब व्यवस्था के कारण enteric fever से हुई थी.

जर्नल का यह भी दावा है कि दस्तावेजों की समीक्षा करने के बाद, हैरिसन को 26 मार्च को सर्दी लगी थी और शपथ ग्रहण के करीब 3 हफ्ते के बाद उन्होंने अपने बुखार को लेकर डॉक्टरों से संपर्क किया था.

शपथ ग्रहण की तारीखों में भी बदलाव

फिलहाल डॉक्टरों की ओर से लगातार इलाज करने के बाद भी हैरिसन को बचाया नहीं जा सका. उनकी मृत्यु 4 अप्रैल को निमोनिया की वजह से हो गई, जो सर्दी के कारण हुआ था. इस तरह हैरिसन पद पर रहते हुए मरने वाले अमेरिका के पहले राष्ट्रपति बने. साथ ही उनके नाम बतौर राष्ट्रपति सबसे कम छोटे कार्यकाल का रिकॉर्ड आज भी दर्ज है.

अमेरिका में पहले 4 मार्च को राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई जाती थी, लेकिन बाद में 1933 में 22वें संशोधन के अनुमोदन के बाद, चुनाव की तारीख और शपथ ग्रहण के बीच की लंबी अवधि को कम करते हुए राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण की तारीख 4 मार्च से पहले 20 जनवरी कर दी गई.

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