UP: 10 साल पहले हादसे में पैर गंवाया, हॉस्पिटल नहीं दे रहे थे मेडिकल रिकॉर्ड, अब कोर्ट ने लाइसेंस निरस्त करने के दिए आदेश

उत्तर प्रदेश के बरेली से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है, जहां दो अस्पतालों की लापरवाही के चलते एक युवक 10 साल तक न्याय की गुहार लगाता रहा है. दरअसल, 10 साल पहले राजवीर नाम के एक युवक का एक्सीडेंट हो गया था, जिस कारण से इलाज के दौरान उनका एक पैर काटना पड़ा था. राजवीर का दो अलग-अलग अस्पतालों में इलाज हुआ था. उसने रोड एक्सिडेंड के मिलने वाले मुआवजा के लिए एक याचिका दायर की थी, लेकिन अस्पताल उसे मेडिकल रिकोर्ड नहीं दे रहे थे.

इस मामले में कार्रवाई करते हुए मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण के पीठासीन अधिकारी क्षितिज कुमार श्रीवास्तव ने मेडिकल रिकोर्ड ना देने वाले दोनों ही अस्पताल के डायरेक्टर के लाइसेंस को निरस्त करने के आदेश दिये है.

टेंपो पलटने से हुआ था हादसा

बरेली के भमोरा थाना क्षेत्र के चंपातपुर गांव के रहने वाले राजवीर 18 मई 2013 को चौपला से अपने घर जा रहे थे. तभी कुष्ठ आश्रम के पास एक टेंपो पलट गया था और टेंपो की चपेट में आने से राजवीर को गंभीर चोटें आई थी. सूचना पर पहुंची पुलिस और परिवार वालों ने घायल राजवीर को थाना इज्जतनगर क्षेत्र के मिनी बाईपास पर भास्कर और सुमंगल अस्पताल में भर्ती कराया था, जहां उनका इलाज चला था.

काटना पड़ा था पैर

इलाज के दौरान उनका दया पैर काटा गया था. राजवीर ने अपने वकील हरिश चंद्र भाटिया के जरिए 2014 में मुआवजा के संबंध में अधिकरण में एक याचिका दायर की थी. कोर्ट ने दोनों अस्पतालों को कई बार पत्र भेजे, लेकिन अस्पताल ने इलाज के रिकॉर्ड नहीं दिए गए. कई बार सूचित भी किया गया, लेकिन कोर्ट को जबाव नहीं मिला. इस दौरान राजवीर न्याय के लिए गुहार लगाते रहे.

कोर्ट के आदेश के बाद कार्रवाई

अब कहीं जाकर कोर्ट के आदेश के बाद सीएमओ डॉक्टर विश्राम सिंह ने भास्कर अस्पताल के प्रबंधक ओपी भास्कर और सुमंगल डेंटल केयर व ट्रामा सेंटर के डायरेक्टर डॉक्टर आशीष अग्रवाल के लाइसेंस निरस्त करने के आदेश दिए हैं. इस कार्रवाई के बाद डॉक्टर और अस्पताल में हड़कंप मचा हुआ है. वहीं पूरे मामले में बरेली के सीएमओ डॉक्टर विश्राम सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि दोनों डॉक्टर और अस्पतालों के लाइसेंस निरस्त करने की आदेश दिए हैं. आगे भी अग्रिम कार्रवाई की जाएगी.

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