महाकुंभ का विशेष आकर्षण हैं जंगम जोगी, सिर्फ साधुओं से लेते हैं भिक्षा

प्रयागराज में संगम की पावन धरती पर महाकुंभ के आयोजन में हर पंथ और संप्रदाय के साधु-संत अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं. इस बार महाकुंभ का विशेष आकर्षण जंगम जोगी हैं, जिनकी परंपराएं और अनूठी वेशभूषा श्रद्धालुओं के लिए कौतूहल का विषय बनी हुई हैं. शिव भक्ति में लीन ये जोगी देशभर के साधुओं से भिक्षा लेकर अपनी परंपराओं को जीवित रखते हैं.

जानकारी के मुताबिक, जंगम जोगी भगवान शिव व दशनाम जूना अखाड़ा के पुरोहित होते हैं. ऐसा कहा जाता है कि जंगम की उत्पत्ति भगवान शिव के विवाह के समय हुई थी. वहीं कुरुक्षेत्र की जंगम जोगी बिरादरी में यह प्रथा है कि हर परिवार से किसी एक सदस्य को साल में एक बार महाशिवरात्रि के अवसर पर दो दिन के लिए जंगम बनना पड़ता है.

महाकुंभ में आकर्षण बना जंगम जोगी दल

वहीं महाकुंभ पहुंचे इस दल में चेतन जंगम भी हैं, जो पेशे से इंजीनियर हैं लेकिन महाशिवरात्रि पर दो दिन के लिए जंगम बनते हैं और दल में शामिल होकर शिव-पार्वती की कथा सुनाते हैं. वो इस बार दल के साथ महाकुंभ में प्रयागराज आए हैं. जंगम जोगी बिरादरी के कई सदस्य सेना, पुलिस और अलग-अलग सरकारी और प्राइवेट विभागों में है. यहां तक की कुछ डॉक्टर भी हैं. महाकुंभ में आए दल के सभी सदस्यों ने सिर पर मुकुट धारण कर रखा है, जो भगवान ब्रह्मा का प्रतीक है. जंगम जोगी ने सिर पर सजा मुकुट लोगों को काफी आकर्षित कर रहा है.

भगवान शिव की सुनाते हैं कथा

इसके साथ ही माता पार्वती का कर्णफूल, चंद्रमा, शेषनाग, नंदीगण की घंटी व सिर पर धारण किया गया मोरपंख धारण कर ये भीड़ में सबसे अलग दिखते हैं. बृहस्पतिवार को अखाड़ा सेक्टर में दल के सदस्यों ने जैसे भगवान शिव की कथा शुरू की, आसपास मौजूद भक्त कथा में लीन हो गए. सदस्यों ने बताया कि माता पार्वती के जन्म से लेकर भगवान शिव के विवाह तक की कथा चार घंटे में पूरी होती है. हम लोग भगवान शिव की कथा लोगों के बीच जाकर सुनाते हैं.

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