गोल्डेन शाही मस्जिद या बाला-ए-किला? अलीगढ़ की 300 साल पुरानी इमारत पर हिंदू पक्ष ने ठोंका दावा

ताले चाबी के लिए मशहूर अलीगढ़ की गोल्डेन शाही मस्जिद भी काफी मशहूर है. ताजमहल के जैसा दिखने वाला शाही मस्जिद अचानक से विवादों में आ गया है. अलीगढ़ के आरटीआई एक्टिविस्ट केशवदेव गौतम ने जिला अदालत में जामा मस्जिद को हिंदू किला बता कर याचिका दायर की है. याचिका में दावा किया गया कि जामा मस्जिद के पास ओम का निशान मौजूद है. साथ ही याचिका में ये भी दावा किया गया है कि अलीगढ़ की जामा मस्जिद असल में हिंदुओं का बाला-ए-किला है.

मुशर्रफ हुसैन महजर अलीगढ़ के सामाजिक कार्यकर्ता हैं. उन्होंने दावा किया कि इस मस्जिद की बुनियाद बहुत पुरानी है. उन्होंने कहा कि 1724 में मस्जिद बननी शुरू हुई, इसे बनाने के लिए ईरान से कारीगर आए थे. उन्होंने कहा कि इस मस्जिद को ताजमहल बनाने वाले आर्किटेक्ट के वंशज ने बनाया था. यही वजह है कि स्थानीय लोग इसे छोटा ताजमहल भी कहते हैं.

याचिकाकर्ता का दावा

पंडित केशव कहा कि आरटीआई के तहत याचिकाकर्ता को जानकारी दी गई कि जामा मस्जिद के नाम से एएसआई के पास कोई संपत्ति दर्ज नहीं है. याचिका में दावा किया गया है कि किला एएसआई के द्वारा नोटिफाई है. साथ ही टीले के अवशेष बौद्ध स्तूप या मंदिर से मेल खाते हैं. याचिका में यह भी दावा किया गया है कि जामा मस्जिद असल में हिंदुओं का किला है, जिस पर भूमाफियाओं ने धर्म विशेष के नाम पर अवैध कब्जा कर रखा है. वहीं आसपास बनी दुकान और मकान से किराया वसूल कर सरकारी संपत्ति का दुरुपयोग किया जा रहा है.

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