Google से लेकर Facebook तक सबकी आएगी शामत, इनके हाथ से निकलने वाली है ‘पैसा छापने की मशीन’

डेटा चोरी के मामलों पर रोक लगाने के लिए सरकार ने कड़े कदम उठाए हैं. अब सरकार सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म हो या टेलीकॉम कंपिनयां सब पर लगाम कसने की पूरी तैयारी में है. सरकार के नए डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन रुल्स का असर स्टार्टअप और बड़ी टेक कंपनियों पर देखने को मिलेगा. नई शर्तों के के तहत कंपनियों को किसी भी तरह का डेटा देश से बाहर शेयर करने से पहले कमेटी से परमिशन लेनी होगी. नए रूल्स में क्या बदलाव आएंगे इसकी बारे में पूरी डिटेल्स नीचे पढ़ें.

टेलीकॉम कंपनियों को SDF का दर्जा

टेलीकॉम कंपनियों के पास कस्टमर्स का डेटा होता है. टेलीकॉम कंपनियों को SDF का दर्जा मिलेगा. टेलीकॉम कंपनियों के लिए SDF का मतलब Service Data Flow है. ये किसी कस्टमर को दी जा रही सर्विस के फ्लो को दिखाता है. इसमें किसी कॉल से जुड़े वॉयस डेटा का फ्लो, किसी वेबसाइट से स्ट्रीमिंग डेटा शामिल है.

डेटा उल्लंघन पर जवाबदेह होंगी कंपनियां

अगर किसी भी तरह का डेटा उल्लंघन होने पर कंपनियों को जवाब देना होगा. अगर यूजर के पर्सनल डेटा के साथ छेड़छाड़ की जा रही है तो सोशल मीडिया, फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन को अफेक्टेड इंडिविजुअल्स को इसकी पूरी जानकारी देनी होगी.

बिग टेक कंपनियों और सोशल मीडिया कंपनियों को कुछ डेटा भारत में रखना होगा. कंपनियों को सर्वर भारत में लगाने पड़ सकते हैं. इसके अलावा स्टार्टअप कंपनियों के लिए कंप्लायंस का कॉस्ट भी बढ़ सकता है.

इंस्टीटूशन्स के लिए नई गाइडलाइन्स

डेटा कलेक्शन के परमिशन लेने के लिए डिजिटल टोकन का इस्तेमाल कंपलसरी होगा. इसके साथ कंसेंट मैनेजर्स को डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड के साथ रजिस्ट्रेशन भी कराना होगा. जिसकी कम से कम नेटवर्थ 12 करोड़ रुपये होनी चाहिए.

डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटक्शन एक्ट को अगस्त 2023 में ही परमिशन दे गई थी. इन रूल्स पर फीडबैक MyGov पोर्टल के जरिए 18 फरवरी 2025 तक आने की संभावना है.

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