AI इंजीनियर अतुल सुभाष के मौत के बाद पुलिसिया कार्रवाई के साथ साथ न्यायिक व्यवस्था पर भी सवाल उठना शुरू हो गया है. वहीं बिहार के एक और कांड ने एक बार फिर लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है. बिहार के नालंदा जिले में पति पुलिस के सामने चीखता रहा चिल्लाता रहा कि “उसने अपनी पत्नी से कभी दहेज नहीं मांगा, न ही उसकी हत्या की हैं” मगर पुलिस ने उसकी एक ना सुनी और कोर्ट के सामने पेश करने के बाद उसे जेल भेज दिया.
मामला नालंदा जिले के नगरनौसा थाना क्षेत्र के चौरासी गांव से जुड़ा हुआ है. जहां कुंदन कुमार नाम के एक युवक की शादी 2015 में पटना जिला के अंडारी गांव की सुधा कुमारी से हुई थी. मगर सुधा को उसका पति पसंद नहीं था. इसी बीच सुधा को पूर्णिया जिले के धमदाहा के रहने वाले एक युवक से प्यार हो गया और 2018 में वह अचानक एक दिन पैसे जेवरात लेकर घर से गायब हो गई. पत्नी के गायब होने के बाद पति कुंदन कुमार ने उसे सभी जगह तलाश किया और ससुराल वालों को भी खबर दी.
ससुराल वालों ने कराई झूठी FIR
इसके बाद ससुराल वालों ने बिना कुछ बात सुने नगरनौसा थाने में पति कुंदन कुमार, उसके पिता युगल पासवान, मां और गांव के अन्य लोगों के खिलाफ दहेज हत्या की धारा में FIR दर्ज करवा दी. अगर आप थाने, कोर्ट में दहेज प्रताड़ना के आवेदन पर नजर डालेंगे, तो सभी FIR में एक ही कहानी मिलेगी की शादी में हैसियत के हिसाब से पैसे, सोना, चांदी, बर्तन और घर का सामान दिया था फिर भी ससुराल वालों गाड़ी की मांग कर रहे थे.
IO ने नहीं की थी जांच
गाड़ी नहीं देने पर प्रताड़ित करते थे और एक दिन मारकर गायब कर दिया. कुंदन वाले मामले में भी यही स्क्रिप्ट FIR में लिखी गई थी. जिसके बाद IO ने बिना जांच किये कुंदन कुमार को पकड़ कर जेल भेज दिया. जबकि कानून के मुताबिक दहेज प्रताड़ना के मामलें में पहले जांच करनी चाहिए थी. वहीं कुंदन की गिरफ्तारी के बाद घर के सभी लोग गांव छोड़कर फरार हो गए, जिसमे कई दिहाड़ी मजदूर थे. उनके घरों में खाने के लाले पड़ गए.
चार महीने 4 तक जेल में रहा कुंदन
घटना के बाद सभी ने कोर्ट कचहरी का चक्कर लगाना शुरू किया, जिसमें अलग से पैसे की बर्बादी हुई. कुंदन का सेशन ट्रायल हिलसा सिविल कोर्ट के चतुर्थ एडिशनल सेशन जज अमित कुमार पांडेय के यहां चल रहा था. ससुराल वाले कुंदन को सजा दिलाने के लिए गवाही भी करवा रहे थे. वहीं 90 दिनों तक केस की चार्जशीट दाखिल नहीं करने पर कुंदन को जमानत मिल गई. फिर भी उसे 4 महीने जेल में रहना पड़ा.
नहीं हुई थी सुधा की हत्या
सुधा 3 साल तक अपने पति कुंदन कुमार के साथ रही थी. इसी दौरान कुंदन की सुधा के पड़ोसी और सहेलियों से भी अच्छी जान पहचान हो गई थी. जेल से निकलने के बाद उसने पहले सभी लोगों का कोर्ट से जमानत करवाई और अपनी पत्नी को ढूंढने में लग गया. इसी बीच सुधा के पड़ोसियों से पता चला कि सुधा जिंदा हैं, उसके मां-बाप ने सुधा की दूसरी शादी करवा दी है. सुधा अपने घर भी आती जाती हैं.
सुधा का बयान हुआ दर्ज
जिसके बाद कुंदन ने पूरी बात नगरनौसा थानाध्यक्ष पंकज कुमार पवन को दी. थानाध्यक्ष ने पूरी बात सुनने के बाद पूर्णिया पुलिस की मदद से धमदाहा से महिला को बरामद किया. महिला ने बताया कि उसने दूसरी शादी कर ली और उसका एक बच्चा भी है. अब वह अपने दूसरे पति के साथ ही रहना चाहती है. नालंदा पुलिस ने महिला को हिरासत में लेकर नालंदा कोर्ट में प्रस्तुत किया गया, जहां उसका 164 का बयान दर्ज हुआ.
BNS की धारा 82 के तहत हो सकती है सुधा पर कार्रवाई
जिसके बाद महिला ने अपने दूसरे पति के साथ रहने की इच्छा जताई. कोर्ट ने महिला को उसके दूसरे पति के सुपुर्द कर दिया. मामले को लेकर पूर्णिया कोर्ट के वकील आशुतोष झा का कहना हैं कि भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 82 (पुराना 494) के तहत बिना तलाक के दूसरी शादी करना अपराध है. यह कानून पति और पत्नी दोनों पर लागू होता हैं. चुकी महिला ने दूसरी शादी कर ली है और पुलिस और कोर्ट के संज्ञान में भी आ गया है. इसलिए इस अपराध के लिए पत्नी को 10 साल तक की जेल जुर्माना दोनों हो सकता है.
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