119 से कैद में ‘गंगा महारानी’, मुस्लिम चौकीदार ने किया था कब्जा; तब से बंद है पूजा-पाठ… जानें बरेली के इस मंदिर की कहानी
उत्तर प्रदेश के संभल की ही तर्ज पर बरेली में भी एक मंदिर पर मुस्लिम समुदाय के लोगों द्वारा कब्जा करने और यहां रखी मूर्तियों को खुर्द बुर्द कर उसपर मकान बना लेने का मामला सामने आया है. इस संबंध में मंदिर बनाने वाले परिवार के वंशजों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से गुहार लगाई है. बताया कि गंगा महारानी के इस मंदिर का निर्माण करीब सौ साल पहले साल 1905 में कराया गया था. बाद में मुस्लिम परिवार के लोग श्रद्धालुओं के साथ रोक टोक करने लगे और धीरे धीरे यहां पूजा पाठ बंद हो गया.
मंदिर निर्माता के वंशजों ने मंदिर को बनाने और इस पर कब्जा होने की पूरी कहानी बताते हुए मुख्यमंत्री से इसे मुक्त कराने की मांग की है. मामला बरेली के किला क्षेत्र में बाकरगंज का है. यहां गंगा महारानी मंदिर बनाने वाले परिवार के वंशज राकेश सिंह ने बताया कि 50 साल पहले तक इस मंदिर में पूजा भी होती थी. दूर दूर से लोग यहां पूजा के लिए आते थे. इसलिए मंदिर में एक पुजारी रखा गया था. चूंकि पास से ही रामगंगा नदी निकलती है और उस समय यह एरिया सूनसान था. इसलिए पुजारी ने यहां एक मुस्लिम व्यक्ति को चौकीदार नियुक्त कर दिया.
सरकारी रिकार्ड में आज भी दर्ज है मंदिर
आरोप है कि यह चौकीदार अक्सर यहां श्रद्धालुओं के आने के समय ताला लगा देता था. ऐसे में धीरे धीरे लोगों ने यहां आना कम कर दिया और बाद में उस चौकीदार ने मंदिर की मूर्तियां हटाकर मंदिर पर कब्जा कर लिया. राकेश सिंह के मुताबिक आज भी यह स्थान सरकारी रिकार्ड में गंगा महारानी के मंदिर के नाम से ही दर्ज है. उन्होंने मंदिर के दस्तावेज दिखाते हुए बताया कि आज इस स्थान पर काफी बड़ा मकान बना लिया गया है.
संभल में सामने आ रहे प्राचीन मंदिर
स्थानीय निवासी सुनीता सिंह ने बताया कि उनके पूर्वज इस मंदिर में पूजा करते रहे हैं, लेकिन आज मुस्लिम समुदाय के लोगों ने इस मंदिर से मूर्तियों को हटा दिया है. बता दें कि हाल ही में संभल के जामा मस्जिद के सर्वे के लिए टीम पहुंची थी. उस समय वहां दंगा भड़क गया था. इस घटना के बाद पुलिस और प्रशासन ने अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई शुरू की. इसी क्रम में दो प्राचीन मंदिरों को खोज निकाला गया है. यह दोनों मंदिर भी मुस्लिम समाज के लोगों ने कब्जा रखा था.
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