बीते एक हफ्ते में आलू, टमाटर और प्याज की खुदरा कीमतें 20-25% गिर गई हैं, हालांकि पिछले दिसंबर की तुलना में अभी भी अधिक हैं. व्यापारियों का कहना है कि पिछले छह महीनों में कीमतें काफी बढ़ी हैं और इसलिए पिछले साल के स्तर तक पहुंचने में समय लगेगा. जनवरी के मध्य तक कीमतें मौजूदा स्तर से और गिरेंगी और पिछले साल के बराबर हो सकती हैं, जिससे आने वाले महीनों में खाद्य महंगाई में नरमी देखने को मिल सकती है. इससे फरवरी में होने वाली पॉलिसी मीटिंग में आरबीआई एमपीसी को ब्याज दरों में कटौती के लिए विंडो मिल सकता है .आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर आलू प्याज टमाटर की कीमतों को लेकर किस तरह के आंकड़े देखने को मिल रहे हैं.
कम हुई आलू टमाटर की कीमत
पहले बात आलू की करें तो कीमतों में गिरावट देखने को मिली हैं. जिसका प्रमुख कारण आलू की फसल का रकबा बढ़ना है. देश के सबसे बड़े उत्पादक उत्तर प्रदेश में नई फसल की आवक मजबूत है, और जिन कोल्ड स्टोरेज ने कीमतों में और वृद्धि के लिए पुराना स्टॉक रखा था, उन्हें अब उन्हें मजबूरी में खत्म करना पड़ रहा है. आजादपुर मार्केट टोमेटो एसोसिएशन के सदस्य अशोक कौशिक ने कहा कि मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में टमाटर का उत्पादन अधिक होने और देश भर की मंडियों (थोक बाजार) में आवक में सुधार होने के कारण टमाटर की कीमतों में गिरावट आई है.
उत्तर प्रदेश कोल्ड स्टोरेज एसोसिएशन के अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल ने कहा कि 2025 में आलू की कीमतें निचले स्तर पर रहेंगी क्योंकि उत्पादन मजबूत होने और पश्चिम बंगाल में रकबा बढ़ने की उम्मीद है. पश्चिम बंगाल कोल्ड स्टोरेज एसोसिएशन के सदस्य पतित पबन डे ने कहा, इस साल पश्चिम बंगाल में आलू का रकबा 10% बढ़ गया. राज्य में 4.7 लाख हेक्टेयर में आलू की खेती होती है. पिछले साल जहां उत्तर प्रदेश में 160 लाख टन आलू का उत्पादन हुआ, वहीं बंगाल में 90 लाख टन कंद का उत्पादन हुआ.
प्याज की कीमतें कितनी
वहीं दूसरी ओर नवंबर महीने में जो प्याज की कीमतें पांच साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई थीं, देश भर में नई फसल की बढ़ती आवक के साथ घटनी शुरू हो गई हैं. महाराष्ट्र के बेंचमार्क लासलगांव थोक बाजार में पिछले एक पखवाड़े में प्याज की औसत कीमत 1 दिसंबर को 37 रुपए प्रति किलोग्राम से 36 फीसदी गिरकर सोमवार को 23.5 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई. अच्छी गुणवत्ता वाले प्याज की अधिकतम कीमतें नवंबर के दौरान थोक बाजार में लगातार 50 रुपए प्रति किलोग्राम और खुदरा व्यापार में लगभग 80 रुपये प्रति किलोग्राम रहीं.
पिछले दिसंबर में खुदरा स्तर पर प्याज की कीमत 22 रुपए प्रति किलोग्राम थी. कम शेल्फ लाइफ वाले प्याज की बढ़ती उपलब्धता के कारण जनवरी में प्याज की कीमतें दबाव में रहने की उम्मीद है. उद्योग के अनुमान के मुताबिक, देर से आने वाले खरीफ प्याज का उत्पादन पिछले साल की तुलना में 135 फीसदी अधिक होने की उम्मीद है, जबकि रबी फसल के तहत बोया गया क्षेत्र, जिसकी कटाई मार्च में की जाएगी और अगले साल के लिए भंडारण किया जाएगा, भी बढ़ने की उम्मीद है.
कितनी हो सकती है महंगाई दर?
क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री धर्मकीर्ति जोशी ने कहा कि टमाटर, आलू और प्याज भारत में सबसे अधिक खपत वाली सब्जियां हैं. इन तीनों की कीमतें पिछले कुछ समय से ऊंची बनी हुई हैं. चौथी तिमाही में सब्जियों की महंगाई धीरे-धीरे कम हो जाएगी. हमारा अनुमान है कि कुल महंगाई 4.5 फीसदी से कम देखने को मिलेगी. कीमत में गिरावट पर टिप्पणी करते हुए, भारतीय सांख्यिकी संस्थान के पूर्व प्रोफेसर, अर्थशास्त्री दीपांकर दासगुप्ता ने कहा कि मुझे टीओपी (टमाटर, प्याज, आलू) की कीमत में गिरावट के कारण महंगाई में कमी की उम्मीद है. फॉर्मल सेक्टर में काम करने वाले कंज्यूमर्स को काफी राहत मिलेगी. लेकिन मौजूदा कीमतें, गिरावट के बाद भी, इंफॉर्मल सेक्टर में काम करने वाले लोगों के लिए बड़ा सिरदर्द है.
क्या कम होगी ब्याज दर?
ब्याज दरों में कटौती ना होने का सबसे बड़ा कारण खाद्य महंगाई को ही माना जा रहा था. सितंबर महीने में खाद्य महंगाई 9.24 फीसदी देखने को मिली थी. जबकि अक्टूबर के महीने में खाद्य महंगाई बढ़कर 9.69 फीसदी हो गई थी. वहीं नवंबर के महीने में खाद्य महंगाई 9 फीसदी पर ही बनी हुई है. दिसंबर महीने में फूड इंफ्लेशन के 6 से 7 फीसदी और जनवरी महीने की खाद्य महंगाई का आंकड़ा 5 फीसदी से नीचे आने का अनुमान है. जिसकी वजह से फरवरी में होने वाली पॉलिसी मीटिंग में आरबीआई एमपीसी ब्याज दरों में कटौती कर सकती है. ये कटौती 0.25 फीसदी देखने को मिल सकती है.
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