इस समय देश में एक केस सभी की जुबां पर है. वो केस है AI सॉफ्टवेयर इंजीनियर अतुल सुभाष की आत्महत्या का. पत्नी से बिगड़े रिश्तों और टॉर्चर से तंग आकर अतुल ने 9 दिसंबर को खुदकुशी कर ली. इससे पहले उसने 24 पन्नों का सुसाइड नोट लिखा और वीडियो भी बनाया, जो कि सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ. इसी बीच अब करनाल से बुजुर्ग दंपति के तलाक का बेहद दिलचस्प केस सामने आया है.
यह मामला काफी हद तक अतुल सुभाष के केस से मिलता जुलता है. यहां भी पति ने पत्नी पर मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का आरोप लगाया. 18 साल तक तलाक का केस चला. फिर बुजुर्ग ने 3 करोड़ रुपये में सेटलमेंट करके बीवी से तलाक लिया. मामला हरियाणा के करनाल का है. यहां रहने वाले एक बुजुर्ग दंपति ने जीवन के 7वें दशक में तलाक लिया है. दोनों ने अपनी 44 साल पुरानी शादी को तोड़ दिया. 70 साल के पति ने 3 करोड़ रुपये सेटलमेंट के तौर पर 73 साल की पत्नी को दिए हैं.
बुजुर्ग दंपति ने 18 साल की कानूनी लड़ाई के बाद अलगाव का फैसला लिया है. पति का कहना था कि उनकी पत्नी मानसिक क्रूरता करती है और वह उससे तंग आ चुके हैं. सेटलमेंट की रकम चुकाने के लिए पति ने अपनी खेती की जमीन बेच दी और 3 करोड़ रुपये अदा कर दिए. पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में दोनों के तलाक पर मुहर लगाई गई. दोनों की 27 अगस्त, 1980 में शादी हुई थी. उनकी दो बेटियां और एक बेटा है.
15 साल तक अच्छा रहा संबंध
करीब 25 साल तक दोनों के बीच संबंध अच्छा चला, लेकिन फिर कड़वाहट पैदा होने लगी. 8 मई 2006 से दोनों अलग-अलग रहने लगे. इसके बाद पति ने मानसिक क्रूरता का आरोप लगाते हुए 2013 में तलाक का केस फाइल कर दिया था. वहां से अर्जी खारिज हुई तो फिर हाईकोर्ट पहुंचे. यहां 11 साल मुकदमा चलने के बाद उन्हें तलाक मिला है और पत्नी को गुजारे के लिए 3 करोड़ रुपये की रकम देने के बाद वह रिश्ते से अलग हो गए हैं.
बुजुर्ग ने रखी ये शर्त
सेटलमेंट की यह रकम कैश, डिमांड ड्राफ्ट, सोना-चांदी के जरिए दी जाएगी. साफ है कि जिंदगी भर की कमाई को पति सेटलमेंट के तौर पर देने को तैयार है. जानकारी के अनुसार, यह रकम चुकाने के लिए बुजुर्ग ने 2.16 करोड़ रुपये की जमीन बेची है. इसके अलावा 50 लाख रुपये कैश अदा किए हैं. यह रकम फसल बेचकर जुटाई है. वहीं 40 लाख रुपये के जेवर भी वह दे रहे हैं. इस समझौते में यह भी तय हुआ है कि यदि बुजुर्ग की मौत हो जाती है तब भी पत्नी और उसके बच्चों को संपत्ति पर कोई हक नहीं रहेगा. यह फैसला पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट के जस्टिस सुधीर सिंह और जस्टिस जसजीत सिंह बेदी ने सुनाया.
Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.