मध्य प्रदेश के सिवनी जिले स्थित पेंच टाइगर रिजर्व में आदमखोर बाघ को पकड़ने के लिए पिछले दस दिनों से वन विभाग की तरफ से बड़े पैमाने पर रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है. इस अभियान में तीन प्रशिक्षित हाथी, ड्रोन कैमरे और 100 से अधिक वन विभाग के अधिकारी-कर्मचारी जुटे हुए हैं.
बाघ को पकड़ने की यह प्रक्रिया लगातार चुनौतीपूर्ण होती जा रही है, क्योंकि वह चालाकी से हर बार लोकेशन बदल लेता है. वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि बाघ अपने प्राकृतिक व्यवहार के कारण जंगल में बार-बार अपना ठिकाना बदल रहा है. यह स्थिति रेस्क्यू ऑपरेशन को और कठिन बना रही है.
दिन-रात चल रहा है सर्च ऑपरेशन
बाघ को पकड़ने के लिए बावनखड़ी और आसपास के इलाकों में वन विभाग ने दिन-रात सर्च ऑपरेशन जारी रखा है. इसी बीच एक दिलचस्प नजारा देखने को मिला, जब ड्रोन कैमरे ने उस बाघ को एक बाघिन के साथ कैद किया. बाघ और बाघिन की इस अनपेक्षित उपस्थिति ने रेस्क्यू ऑपरेशन में नई जटिलताएं पैदा कर दी हैं. ऐसे में अब वन विभाग की टीम दोनों के मूवमेंट पर नजर बनाए हुए है. विशेषज्ञों का कहना है कि इस स्थिति में रेस्क्यू ऑपरेशन को सावधानीपूर्वक अंजाम देना आवश्यक हो गया है, ताकि बाघ को सुरक्षित रूप से पकड़ा जा सके और बाघिन या अन्य वन्यजीवों को किसी भी तरह की क्षति न पहुंचे.
डिप्टी डायरेक्टर रजनीश सिंह के अनुसार, पेंच प्रबंधन पूरी सतर्कता और रणनीति के साथ काम कर रहा है, जैसे ही परिस्थितियां अनुकूल होंगी, आदमखोर बाघ को रेस्क्यू कर लिया जाएगा. उनका कहना है कि इस ऑपरेशन का मुख्य उद्देश्य मानव-बाघ संघर्ष को कम करना और क्षेत्र में संतुलन बनाए रखना है.
वन्यजीवों के स्वाभाविक व्यवहार और मानव हस्तक्षेप के बीच तालमेल बैठाना इस ऑपरेशन की सबसे बड़ी चुनौती है. यह घटना वाइल्डलाइफ संरक्षण और प्रबंधन के लिए एक महत्वपूर्ण उदाहरण भी है, जो दिखाती है कि जंगलों में जीवन कितना जटिल और अद्भुत हो सकता है.
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