जहां-जहां पर्यवेक्षक बनकर गईं निर्मला सीतारमण वहां किस फॉर्मूले से बने मुख्यमंत्री

महाराष्ट्र का नया मुख्यमंत्री कौन होगा, इन अटकलों पर विराम लगाने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और विजय रूपाणी को केंद्रीय पर्यवेक्षक नियुक्त किया है. पर्यवेक्षक का काम विधायक दल की बैठक कराना और नए मुख्यमंत्री का चुनाव कराना होता है. बीजेपी में पर्यवेक्षक मुख्यमंत्री चुनने में बड़ी भूमिका निभाते हैं.

पिछले 7 साल में यह चौथी बार है, जब निर्मला सीतारमण बतौर पर्यवेक्षक बनकर मुख्यमंत्री का चयन करने जा रही हैं. सीतारमण इससे पहले 2017 में हिमाचल, 2019 में हरियाणा और 2022 में मणिपुर में केंद्रीय पर्यवेक्षक बनकर मुख्यमंत्री का चयन कर चुकी हैं.

कौन सा फॉर्मूला लेकर सीएम चुनने जा रहीं निर्मला?

महाराष्ट्र चुनाव परिणाम के 11 दिन बाद निर्मला सीतारमण मुख्यमंत्री के चयन के लिए मुंबई जा रही हैं. निर्मला के सहयोग के लिए बीजेपी ने विजय रूपाणी को लगाया है. रूपाणी के मुताबिक मुख्यमंत्री तो बीजेपी ही बना रही है.

महाराष्ट्र में बीजेपी एकनाथ शिंदे और अजित पवार के साथ गठबंधन में है. शिंदे पहले मुख्यमंत्री पद पर थे और उनकी पार्टी के नेता उन्हें फिर से यह कुर्सी सौंपने की मांग कर रहे हैं.

हालांकि, शिंदे ने मुख्यमंत्री चयन का फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह पर छोड़ दिया है. यही वजह है कि दिल्ली से मुंबई तक इस बात की चर्चा शुरू हो गई है कि निर्मला सीतारमण आखिर कौन सा फॉर्मूला लेकर मुख्यमंत्री चयन करने महाराष्ट्र जा रही हैं?

3 में से 2 बार चेहरा रिपीट, एक बार सरप्राइज

सीतारमण अब तक 3 बार पर्यवेक्षक बनकर मुख्यमंत्री चुनने के लिए जा चुकी हैं. 2017 में हिमाचल चुनाव के बाद विधायक दल की बैठक में जयराम ठाकुर को नेता चुना गया. उस वक्त जेपी नड्डा और प्रेम धूमल मुख्यमंत्री पद के बड़े दावेदार थे. मुख्यमंत्री के रूप में जयराम की एंट्री सरप्राइज थी.

2019 में निर्मला हरियाणा में पर्यवेक्षक बनकर गईं. यहां पर विधायक दल की बैठक में मनोहर लाल खट्टर को मुख्यमंत्री चुना गया. खट्टर पहले भी मुख्यमंत्री थे.

2022 में बीजेपी को मणिपुर में फिर से जीत मिली. निर्मला को इस बार भी पर्यवेक्षक बनाकर मुख्यमंत्री चुनने के लिए भेजा गया. इस बार भी निर्मला ने जब विधायक दल की बैठक कराई, तो एन वीरेन सिंह के नाम पर ही सहमति बनी. सिंह उस वक्त मणिपुर के मुख्यमंत्री थे.

सवाल- चेहरा रिपीट होगा या मिलेगा सरप्राइज?

निर्मला सीतारमण के पर्यवेक्षक बनाकर भेजे जाने का ट्रैक रिकॉर्ड देखा जाए को 3 में से 2 बार जो चेहरा चर्चा में थे, उसी को सीएम की कमान मिली. ऐसे में कहा जा रहा है कि महाराष्ट्र में भी चर्चा में रहने वाले चेहरे को मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है.

देवेंद्र फडणवीस बीजेपी की तरफ से मुख्यमंत्री पद के फ्रंटरनर हैं. फडणवीस 2014 से 2019 तक मुख्यमंत्री भी रहे हैं. उन्हें गठबंधन का नेता भी माना जाता है. एकनाथ शिंदे और अजित पवार को एनडीए में जोड़ने में फडणवीस ने बड़ी भूमिका निभाई.

सरकार गठन की कवायद को लेकर दिल्ली से मुंबई तक एनडीए की जितनी भी बैठक हुई है, सब में बीजेपी की तरफ से देवेंद्र फडणवीस ही शामिल हुए हैं. उनके पक्ष एक दलील यह भी दिया जा रहा है.

महाराष्ट्र में तीसरी बार बनेगा बीजेपी का मुख्यमंत्री

2014 में पहली बार बीजेपी ने महाराष्ट्र में अपना मुख्यमंत्री बनाया था. देवेंद्र फडणवीस उस वक्त मुख्यमंत्री चुने गए थे. फडणवीस 2014 से 2019 तक सीएम पद पर रहे. 2019 में बीजेपी फिर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. बीजेपी ने इस बार भी सरकार बनाने की कवायद शुरू की.

फडणवीस इस बार भी शपथ लेने में कामयाब हो गए, लेकिन विश्वासमत हासिल नहीं कर पाए. अब यह तीसरी बार है, जब बीजेपी महाराष्ट्र में अपना मुख्यमंत्री बनाने जा रही है. 1995 में बीजेपी पहली बार शिवेसना के साथ सत्ता में आई थी.

उस वक्त शिवसेना का मुख्यमंत्री और बीजेपी का उपमुख्यमंत्री चुना गया था.

288 सीटों वाली महाराष्ट्र विधानसभा में बीजेपी को 132 सीटों पर जीत मिली है. उसके सहयोगी एकनाथ शिंदे को 57 और अजित पवार को 41 सीटों पर जीत मिली है.

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.