दलदल में फंसने पर कोई भी शख्स बचने के लिए हर संभव कोशिश करता है. खूब हाथ-पैर मारता है. मगर घबराहट में बेतहाशा कोशिशें अक्सर बेकार साबित होती हैं और बचना मुश्किल हो जाता है. कुछ यही हाल इस वक्त ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम का होता हुआ दिख रहा है, जो एक दलदल में फंसती हुई दिख रही है. भारत के हाथों पर्थ में बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के पहले ही मैच में 295 रन की करारी शिकस्त से आहत ऑस्ट्रेलियाई टीम अब वापसी के लिए बेकरार है. लेकिन अपनी इस हताशा भरी बेकरारी में ऑस्ट्रेलियाई टीम ऐसा कदम उठाती हुई दिख रही है, जो उस पर ही भारी पड़ सकता है.
पर्थ के हैरतअंगेज नतीजे के बाद अब भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच एडिलेड में 6 दिसंबर से दूसरा टेस्ट मैच शुरू होगा. ये एक डे-नाइट टेस्ट है, इसलिए गुलाबी गेंद से खेला जाएगा. एडिलेड में ही पिछले करीब 8-9 साल से ऑस्ट्रेलियाई टीम हर होम सीजन में एक टेस्ट खेलती ही है. इसी मैदान पर दिसंबर 2020 में उसने टीम इंडिया को डे-नाइट टेस्ट की दूसरी पारी में सिर्फ 36 रन पर ढेर कर दिया था. अब चार साल बाद फिर दोनों टीमें इस मैदान पर उतर रही हैं और सीरीज में वापसी के लिए ऑस्ट्रेलिया फिर वैसे ही प्रदर्शन की उम्मीद करेगी.
ये होशियारी दिखा रहा ऑस्ट्रेलिया
ऑस्ट्रेलिया को जीत के लिए हर मोर्चे पर अच्छे प्रदर्शन की जरूरत है और इसमें उसकी गेंदबाजी बेहद अहम है, जिस पर पूरे 20 विकेट निकालने की जिम्मेदारी होगी. ऐसा लगता है कि इस जरूरत को पूरा करने के लिए ही ऑस्ट्रेलियाई टीम की मांग पर एडिलेड की पिच पर घास छोड़ी जा रही है. ऑस्ट्रेलिया के सभी मैदानों में से एडिलेड एक ऐसा ग्राउंड है, जिसकी पिच अक्सर बल्लेबाजों की मददगार होती है क्योंकि यहां ज्यादा रफ्तार और उछाल नहीं मिलता. ऑस्ट्रेलिया से आ रही रिपोर्ट्स के मुताबिक इस स्थिति को बदलने के लिए पिच पर घास छोड़ी गई है और इस पर काफी पानी भी डाला जा रहा है.
अक्सर किसी भी पिच को तेज गेंदबाजों के लिए मददगार बनाने के लिए ये तरीके अपनाए जाते हैं. मगर एडिलेड में ऐसा करना बल्लेबाजों के लिए बेहद मुश्किल भरा हो सकता है. इसकी एक वजह तो पिच है ही, दूसरी वजह पिंक बॉल है. असल में डे-नाइट टेस्ट में गेंद को सही देखा जाए, इसलिए पिंक बॉल में पेंट (लैकर) की अतिरिक्त परत चढ़ाई जाती है, जो सामान्य रेड बॉल की से ज्यादा होती है. ऐसे में पिंक बॉल के पुराना होने में ज्यादा वक्त लगता है, जिससे इसके स्विंग और सीम होने में मदद मिलती है. अब अगर पिच पर घास रहेगी तो ये और ज्यादा देरी से पुरानी होगी, जिसका फायदा पेसर्स को मिलेगा.
कहीं लेने के देने न पड़ जाएं
अब ऑस्ट्रेलिया के पास पैट कमिंस, मिचेल स्टार्क, स्कॉट बोलैंड जैसे पेसर्स हैं, जिनके लिए ये काफी मददगार होगी लेकिन खुद ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज इससे कैसे बच पाएंगे. पर्थ टेस्ट में साफ दिख गया था कि जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद सिराज और हर्षित राणा की रफ्तार और धार के सामने ऑस्ट्रेलियाई बैटिंग किस तरह ढह गई थी. ऐसे में अगर एडिलेड में भी पिच तेज गेंदबाजों की मदद करती है तो ऑस्ट्रेलिया की मुश्किलें बढ़ सकती है. तो क्या ऑस्ट्रेलिया ऐसा खतरा उठाना चाहेगा?
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