सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली की पूर्व सिविल डिफेंस कार्यकर्ता राबिया सैफी की मौत पर सुनवाई करते हुए हत्या के मुकदमे पर रोक लगा दी. कोर्ट ने मामले में दिल्ली सरकार, हरियाणा सरकार और केंद्रीय जांच ब्यूरो को तलब करते हुए जवाब मांगा है. दरअसल, पीड़िता के पिता ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर यह मांग की थी कि उनकी बेटी की हत्या के मामले में स्वतंत्र जांच नहीं हो रही है.
पीड़िता के पिता ने आरोप लगाया कि उनकी बेटी की हत्या भ्रष्टाचार के एक मामले को दबाने के लिए की गई थी और यह एक बड़ी साजिश का हिस्सा है. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सुप्रीम कोर्ट को सही रिपोर्ट नहीं पेश की गई थी. मामले की सुनवाई जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस प्रसन्ना बी. बराले की पीठ ने की.
अगस्त 2021 की घटना
दिल्ली में सिविल डिफेंस की कार्यकर्ता रबिया का शव 26 अगस्त 2021 को फरीदाबाद के सूरजकुंड के पास सड़क किनारे मिला था. इस मामले में एक शख्स ने हत्या की जिम्मेदारी लेते हुए सरेंडर किया था. उसने खुद को रबिया का पति होने का दावा किया था।.
लेकिन रबिया के परिवार ने उसकी शादी होने से इनकार करते हुए कहा कि उसकी हत्या एक व्यक्ति ने नहीं, बल्कि कई लोगों ने की थी. यह घटना शहर को झकझोर कर रख दी थी. मौत के बाद शहर में कई स्थानों पर धरना-प्रदर्शन हुए थे.
निर्मम तरीके से हत्या
रबिया की हत्या बहुत ही निर्मम तरीके से की गई थी. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में खुलासा हुआ था कि उसे बार-बार चाकू से मारा गया था. उसके पूरे चेहरे पर निशान थे. यहां तक कि उसके शरीर के कई अंगों को काट दिया गया था और निजी अंगों को बेरहमी से कुचला गया था.
रबिया की हत्या करने वाले शख्स निजामुद्दीन ने दावा किया था कि उसने रबिया से शादी की थी. हत्या की बात कबूल करते हुए उसने बताया कि उसे शक था कि रबिया का उसके साथ काम करने वाले एक शख्स के साथ अवैध संबंध हैं, इसलिए उसने उसकी हत्या कर दी. आरोपी ने बताया था कि सूरजकुंड घुमाने के लिए ले उसने पीड़िता को वहां ले जा कर हत्या कर दी थी.
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