पाकिस्तान से जंग में तीन बंकरों को कर दिया था नेस्तनाबूद , कहानी गाजीपुर के राम उग्रह पांडेय की

देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति देकर अमर कीर्ति में चार चांद लगाकर वीरगति को प्राप्त होने वाले रामउग्रह पांडेय को भारत सरकार ने मरणोपरांत सेना के दूसरे सबसे बड़े पदक महावीर चक्र से सम्मानित किया. वीर सपूत का 53 वां शहादत दिवस उनके पैतृक गांव में मनाया गया. इसी जंग में रेवासडा गांव के रहने वाले महावीर चक्र विजेता रामचंद्र मिश्र की भी पुण्यतिथि उनके गांव में मनाई गई.

महावीर चक्र विजेता राम उग्रह पांडे का जन्म ऐमाबंशी गांव में एक जुलाई 1942 को हुआ था. सेना में भर्ती होकर भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान पूर्वी सीमा पर 22-23 नवंबर 1971 में अदम्य साहस और वीरता से पाकिस्तान के तीन बंकरों को नेस्तनाबूत कर दिया था. इससे पाकिस्तानी फौज घबरा गई थी. बौखलाई पाकिस्तानी सेना ने भारी गोलीबारी की, जिसमें वह शहीद हो गए और अपनी वीरता की अमिट छाप छोड़ गए.

रामउग्रह पाण्डेय, शहादत दिवस

सेना के जवानों के लिए देश उनका परिवार और नागरिक परिजन के समान होते हैं. ऐसे में कुछ दायित्व आमजन का भी बनता है कि शहीदों के परिजनों का ख्याल रखें, जिससे की सैनिकों को और मनोबल मिले. महावीर चक्र विजेता शहीद रामउग्रह पाण्डेय के 53वें शहादत दिवस पर सूबेदार मेजर लेफ्टिनेंट आईपी मौर्य उनकी श्रद्धांजलि सभा में शामिल हुए. उनके साथ-साथ कार्यक्रम में गाजीपुर सांसद अफजाल अंसारी भी शहीद पार्क पहुंचे और शहीद रामउग्रह पांडेय को श्रद्धांजलि अर्पित की.

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.