थाना परिसरों में मंदिर निर्माण पर दो हफ्ते में जवाब दें … अन्यथा 25 हजार जुर्माना लगा देंगे, हाई कोर्ट का सख्त निर्देश
जबलपुर । मध्य प्रदेश के पुलिस थानों के अंदर बनाए गए और बनाए जा रहे अवैध मंदिरों के मामले में सरकार जवाब पेश नहीं कर सकी। उसकी ओर से तीन हफ्ते का समय मांगा गया। हाई कोर्ट ने दो हफ्ते का अंतिम समय दिया और कहा है कि दो हफ्ते में जवाब पेश नहीं हुआ तो 25 हजार जुर्माने के साथ ही जमा होगा।
जबलपुर के चार थाने महज उदाहरण हैं
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता सतीश वर्मा ने बताया कि जबलपुर के चार थाने महज उदाहरण हैं। वास्तिवकता ये है कि पूरे प्रदेश के थानों में इस तरह के निर्माण स्वयं पुलिस द्वारा किए जा रहे हैं। जिसकी कोई अनुमति नहीं ली गई है और न ही दी जा सकती है।
मामले की अगली सुनवाई 12 दिसंबर को निर्धारित की है
हाईकोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 12 दिसंबर को निर्धारित की है। याचिका में ऐसे निर्माण हटाए जाने और दोषी अधिकारियों पर सिविल सर्विस रूल्स के तहत कार्यवाही की मांग की गई है।
कोर्ट के निर्देश पर मनमानी …
- मामले की अगली सुनवाई 19 नवंबर को निर्धारित की गई थी।
- लिहाजा, निर्माणाधीन मंदिरों का कार्य रोकने का आदेश अपेक्षित है।
- राज्य के विभिन्न थाना परिसरों में मंदिर निर्माण कराया जा रहा है।
- अवैध मंदिर हटवाए जाने का भी निर्देश जारी किया जाना चाहिए।
- मनाही के बाद भी थाना परिसरों में मंदिर निर्माण कराया जा रहा है।
जिलों के थाना परिसरों में मंदिर निर्माण पर रोक लगा दी थी
दरअसल, हाई कार्ट के मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत व न्यायमूर्ति विवेक जैन की युगलपीठ ने विगत सुनवाई के दौरान अंतरिम आदेश के जरिए जबलपुर सहित प्रदेश के सभी जिलों के थाना परिसरों में मंदिर निर्माण पर रोक लगा दी थी।
थाना प्रभारियों को नोटिस जारी कर जवाब-तलब कर लिया था
राज्य शासन, मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव गृह, नगरीय प्रशासन, पुलिस महानिदेशक, जबलपुर के कलेक्टर-एसपी और सिविल लाइन, विजय नगर, मदन महल व लार्डगंज थाना प्रभारियों को नोटिस जारी कर जवाब-तलब कर लिया था।
सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट निर्देश के बावजूद निर्माण
जनहित याचिकाकर्ता जबलपुर निवासी अधिवक्ता ओपी यादव की ओर से अधिवक्ता सतीश वर्मा, ग्रीष्म जैन व अमित पटेल ने पक्ष रखा था। उन्होंने दलील दी थी कि सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट निर्देश है। बावजूद जबलपुर सहित राज्य भर में निर्माण जारी है।
राज्य शासन सहित अन्य से जवाब मांग लिया था
संबंधित थाना प्रभारियों के विरुद्ध सिविल सर्विस रूल्स के अंतर्गत कार्रवाई की भी व्यवस्था दी जानी चाहिए। हाई कोर्ट ने प्रारंभिक तर्क सुनने के बाद अंतरिम आदेश के अंतर्गत सुप्रीम कोर्ट के निर्देश की रोशनी में थाना परिसरों में मंदिर निर्माण पर रोक लगा दी थी। साथ ही राज्य शासन सहित अन्य से जवाब मांग लिया था।
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