कॉलेज में नए स्टूडेंट्स के साथ पुराने स्टूडेंट्स की रैगिंग के मामले अक्सर सामने आते रहते हैं. सीनियर्स हंसी मजाक के नाम पर नए स्टूडेंट्स को इतना परेशान कर देते हैं कि कई बार इसका अंजाम बहुत बुरा होता है. अब एक ऐसी घटना गुजरात से सामने आई है, जहां रैगिंग के नाम पर एमबीबीएस के फर्स्ट ईयर के स्टूडेंट को सीनियर्स ने इतना परेशान किया कि उसकी जान चली गई.
ये मामला गुजरात के पाटन के धारपुर में मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च सोसायटी (जीएमईआरएस) मेडिकल कॉलेज से सामने आया है, जहां एक 18 साल के फर्स्ट ईयर के स्टूडेंट अनिल मेथानिया को उसके सीनियर्स ने 3 घंटे तक खड़ा करके रखा. करीब 7 से 8 सीनियर छात्रों ने मृतक अनिल को सभी को अलग-अलग इंट्रोडक्शन देने के लिए कहा लेकिन जब 3 घंटे से ज्यादा खड़े रहने के बाद अनिल की बर्दाश्त की हद पार हो गई, तो वह बेहोश होकर गिर पड़ा.
15 सीनियर्स छात्र कॉलेज से सस्पेंड
इसके बाद उसके साथी छात्रों ने अनिल को हॉस्पिटल में भर्ती कराया और इलाज के दौरान अनिल की मौत हो गई. इसके बाद अनिल के परिवार वालों को सूचना दी गई. कॉलेज में अनिल के साथ रैगिंग के नाम पर इस तरह परेशान करने वाले छात्रों पर एक्शन लिया गया और 15 सीनियर्स छात्रों को कॉलेज से सस्पेंड कर दिया गया, साथ ही FIR भी दर्ज की गई है. अनिल के भाई ने न्याय की मांग की है.
एनईईटी में 550 अंक हासिल किए थे
मृतक अनिल एमबीबीएस फर्स्ट ईयर का स्टूडेंट था, जिसने सितंबर में कॉलेज में एडमिशन लिया था लेकिन इसके कुछ ही दिन बाद ही उसकी मौत हो गई. अनिल की मौत के बाद परिवार वालों का बुरा हाल है, जो उसे 14 अक्टूबर को कॉलेज छोड़ने आए थे और एक महीने बाद ही उसे खो दिया. अनिल ने बिना कोचिंग के एनईईटी में 550 अंक हासिल किए थे. अनिल के परिवार वालों ने बताया कि अनिल सुरेंद्रनगर के ध्रांगध्रा तालुका में 5,000 की आबादी वाले एक छोटे से गांव, जेसदा का अकेला ऐसा छात्र था, जिसने NEET निकाला था.
बिना कोचिंग NEET के क्लियर किया
तीन भाई-बहनों में सबसे छोटा और 56 वर्षीय किसान नरवर भाई और 53 वर्षीय गीताबेन का इकलौता बेटा था. अनिल के चचेरे भाई और आईटी पेशेवर गौतम मेथानिया ने कहा कि 10वीं में अनिल ने मन बना लिया था कि वह डॉक्टर बनना चाहता है. अनिल एक शानदार छात्र था. उसने कोई कोचिंग क्लास नहीं ली, फिर भी NEET क्लियर कर लिया. उसने NEET में 550 और GUJCET (गुजरात कॉमन एंट्रेंस टेस्ट) में 90.57 प्रतिशत अंक हासिल किए थे.
अस्पताल पहुंचने से पहले ही हो गई मौत
अनिल के पिता ने कहा कि अगर अपने बेटे के सपने पूरे करने के लिए उन्हें अपनी जमीन भी बेचनी पड़ती, तो वो बेच देते. उन्होंने कहा, “हमारी 16 नवंबर को बात हुई थी. वह एक दम ठीक था, जब उसका कॉलेज में एडमिशन कराया था. तब भी उसकी सभी मेडिकल रिपोर्ट्स सही आई थी. हमारी उससे बात होती रहती थी. एमबीबीएस कॉलेज के एक रेजिडेंट डॉक्टर ने मुझे फोन किया. उन्होंने कहा कि अनिल बेहोश हो गया है और उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया है. हम सुबह करीब 4 बजे वहां पहुंचे, तो पता चला कि अनिल नहीं रहा.
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