कोई डिजिटल अरेस्ट करे तो तुरंत 1930 नंबर डायल करें, पुलिस को दें सूचना ; देखें वीडियो कैसे बचेंगे

जबलपुर। आस्था अभियान से जुड़े वरिष्ठ नागरिकों के लिए आयोजन हुआ। कार्यक्रम में अतिथि डीआईजी तुषारकांत विद्यार्थी ने बताया कि इस अभियान के अंतर्गत सोसायटी में ही उन वरिष्ठ नागरिकों का पहला समूह बनाया गया था, जिनके बच्चे एवं स्वजन नौकरी, व्यवसाय के लिए दूसरे नगर, प्रदेश या देश में रहते हैं। सोसायटी पार्क में आयोजित रहे। उन्होंने कार्यक्रम में वरिष्ठ नागरकों को साइबर फ्राड को लेकर जागरूक किया।

1930 में सहायता मिलने में विलंब हो तो तुरंत पुलिस थाना को सूचना दें

डिजिटल अरेस्ट कर की जा रही आनलाइन ठगी के बारे में जानकारी दी। ऐसे मामले में तत्काल हेल्पलाइन नंबर 1930 में अपनी शिकायत दर्ज कराने कहा। यदि सहायता मिलने में विलंब हो तो तुरंत पास के पुलिस थाना को सूचना देने की बात कही।

मेडिकल सेल, एंटरटेनमेंट सेल और लीगल सेल से परिचित कराया

डीआईजी ने वरिष्ठ नागरिकों को मेडिकल सेल, एंटरटेनमेंट सेल और लीगल सेल से परिचित कराया। आस्था परिवार से जुड़े सदस्यों को सुरक्षा और सहयोग की कोई कमी नहीं होने का आश्वासन दिया। इंटरनेट मीडिया के माध्यम से अकेले रहने वाले वरिष्ठ नागरिक सुख-दुख में एक-दूसरे के साथ जुड़े रहेंगे।

ऐसे फंस रहे लोग धोखाधड़ी के जाल में…

  • झोलाछाप डाक्टरों द्वारा अलग-अलग बीमारियों के उपचार के नाम पर छल किया है।
  • ठगों बोलता है कि वह इजरायल से मशीन लेकर आये हैं, उन्‍हें बनाते हैं अपना शिकार।
  • वृद्ध व्यक्ति को तीन-चार थेरेपी में जवान बना देती है। झांसा देकर पैसे झटक लेते है।
  • पेंशनधारकों को जीवन प्रमाणपत्र आलनइान अपडेट करने का बोलकर ओटीपी लेते हैें।
  • आवेदक से बैंक अधिकारी बनकर केवायसी अपडेट कराने आनलाइन पैसा निकालते हैं।
  • स्वजन बनकर अपने बच्चे को हास्पिटल में एडमिट होने की बात कहकर रुपये ले लेते हैं।

धोखाधड़ी से बचने डीआइजी ने किया जागरूक…

पेंशन निदेशालय कभी भी किसी व्यक्ति को जीवन प्रमाण पत्र आनलाइन अपडेट करने के लिए कोई काल नहीं करता है। ना ही आनलाइन जीवन प्रमाण पत्र अपडेट करता है।

विश्वास जीतकर ईमेल पर फर्जी नियुक्त पत्र भेजते हैं

नौकरी देने का प्रस्ताव देते है फिर विश्वास जीतकर ईमेल पर फर्जी नियुक्त पत्र भेजते हैं। उसके बाद नियुक्ति देने के नाम पर आनलाइन रुपये ट्रांसफर कराकर डकार लेते है।

क्‍या है डिजिटल अरेस्ट?

डिजिटल अरेस्ट एक साइबर स्‍कैम है। डिजिटल अरेस्ट स्कैम में फोन करने वाले कभी पुलिस, सीबीआई, नारकोटिक्स, आरबीआई और दिल्‍ली या मुंबई पुलिस अधिकारी बनकर आत्मविश्वास से बात करते हैं। वॉट्सएप या स्काइप कॉल पर जब कनेक्‍ट करते हैं तो आपको फर्जी अधिकारी एकदम असली से लगते हैं। वे लोग पीड़ित इमोशनली और मेंटली टॉर्चर करते हैं।

ये है पुलिस की एडवाइजरी

  • पुलिस अधिकारी कभी भी पहचान बताने के लिए वीडियो कॉल नहीं करेंगे।
  • पुलिस अधिकारी कभी भी आपको एप डाउनलोड करने नहीं कहेगा।
  • पहचान पत्र, FIR की कॉपी और गिरफ्तारी वारंट ऑनलाइन नहीं होता।
  • पुलिस कभी भी वॉयस या वीडियो कॉल पर बयान दर्ज नहीं करते हैं।
  • पुलिस अधिकारी कॉल पर पैसे या पर्सनल जानकारी देने डराते नहीं।
  • पुलिस कॉल के दौरान अन्य लोगों से बात करने से नहीं रोकती है।
  • कानून में डिजिटल अरेस्ट का कोई प्रवि‍धान नहीं है, असली वाली गिरफ्तारी होती है।

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