‘हिंदू विरोधियों के साथ रहे अजित’, मतदान से ठीक पहले क्यों ‘बंट’ गए फडणवीस और पवार?

बटेंगे तो कटेंगे नारे ने बीच चुनाव में महाराष्ट्र एनडीए में दरार डाल दी है. इस नारे को लेकर अजित पवार और देवेंद्र फडणवीस आमने-सामने आ गए हैं. हाल ही में अजित पवार ने कहा था कि बटेंगे तो कटेंगे का नारा महाराष्ट्र के लिए नहीं है, जिस पर फडणवीस ने उन पर तीखा हमला किया है.

एक इंटरव्यू में देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि दशकों तक अजित पवार ऐसी विचारधाराओं के साथ रहे, जो धर्मनिरपेक्ष और हिंदू विरोधी हैं.. वे ऐसे लोगों के साथ रहे हैं जिनके लिए हिंदुत्व का विरोध करना ही धर्मनिरपेक्षता है.

अजित बयान का मतलब नहीं समझ रहे

फडणवीस ने आगे कहा कि अजित को जनता का मूड समझने में थोड़ा समय लगेगा. ये लोग या तो जनता की भावना को नहीं समझ पाए या इस बयान का मतलब नहीं समझ पाए.

फडणवीस के मुताबिक हो सकता है अजित पवार बोलते समय शायद कुछ और कहना चाहते थे, लेकिन बोल कुछ और गए.

बटेंगे तो कटेंगे पर अजित ने क्या कहा था?

बटेंगे तो कटेंगे नारे का विरोध करते हुए अजित पवार ने कहा था कि यह सबका साथ, सबका विकास नहीं है. अजित ने कहा कि एक तरफ आप सबका साथ और सबका विकास की बात करते हो और दूसरी तरफ बटेंगे तो कटेंगे की बात करते हो.. यह कैसे चलेगा?

जूनियर पवार ने आगे कहा कि महाराष्ट्र का सियासी मिजाज यूपी जैसा नहीं है. यहां लोग काफी समझदार हैं, इसलिए इन नारों का कोई मतलब नहीं है.

बीजेपी के नेता भी जता चुके हैं विरोध

अजित पवार के अलावा बीजेपी के कद्दावर नेता पंकजा मुंडे और अशोक चव्हाण भी बटेंगे तो कटेंगे नारे का विरोध जता चुके हैं. दोनों ही नेता सार्वजनिक तौर पर इस नारे को गलत बता चुके हैं.

पंकजा मुंडे अभी विधानपरिषद की सदस्य और अशोक चव्हाण राज्यसभा के मेंबर हैं. महाराष्ट्र एनडीए में यह विवाद तब शुरू हुआ है, जब मतदान में 5 दिन का वक्त बचा है.

महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों पर 20 नवंबर को मतदान होने हैं.

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