गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई की धमकी के बाद बिहार में पूर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव सुर्खियों में हैं. लॉरेंस के फैन्स उन्हें लगातार धमकियां दे रहे हैं. इन धमकियों का सीधा असर पप्पू यादव के व्यक्तित्व और सामाजिक जीवन पर भी पड़ने लगा है. आलम यह है कि उनके अर्जुन भवन में जहां हमेशा दरबार लगता था, आज उसमें सन्नाटा पसरा हुआ है. उनकी पत्नी रंजीत रंजन तक उनसे किनारा कर चुकी हैं. बावजूद इसके, स्वभाव से जिद्दी पप्पू यादव पीछे हटने को तैयार नहीं हैं. उन्होंने एक बार फिर से चुनौती देते हुए कहा है कि जो कोई उन्हें मारना चाहता है, वह आ जाए.
यही नहीं उन्होंने लॉरेंस बिश्नोई को एक बार फिर से चैलेंज किया है. कहा कि वह कल ही मुंबई जा रहे हैं और दो दिनों तक वहां चुनाव प्रचार में रहेंगे. उन्होंने अपना कार्यक्रम बताते हुए कहा कि वह मरहूम बाबा सिद्दकी के बेटे जीशान सिद्दकी के लिए भी चुनाव प्रचार करेंगे. पप्पू यादव को जानने वाले बताते हैं कि उनकी पत्नी रंजीत रंजन अभी भी दबाव बना रही हैं कि वह लॉरेंस के खिलाफ बयान ना दें. ऐसे ही हालात में रंजीत रंजन ने पिछले दिनों बयान दिया था कि पप्पू यादव और उनके बयान से उनका या उनके बच्चों का कोई वास्ता नहीं है.
लॉरेंस प्रकरण के बाद खराब हुई मां की तबियत
कहा जा रहा है कि रंजीत रंजन ने यह बयान खुद की और बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए दिया था. दूसरी ओर, पप्पू यादव की मां शांति प्रिया भी इस समय काफी दबाब में हैं. इसकी वजह से उनकी तबियत तक खराब हो गई और उनका पूर्णिया के एक अस्पताल में इलाज शुरू किया गया है. चारों ओर से पड़ रहे इस दबाव और लॉरेंस बिश्नोई के खौफ की वजह से पप्पू यादव का दिनचर्या पूरी तरह से बदल गई है. पहले पप्पू यादव बिना सुरक्षा के भी घूमने निकल जाते थे. भीड़ में घुस जाते थे, लेकिन अब वह हमेशा कड़े सुरक्षा घेरे में रहते हैं.
बंद हुए चौपाल और दरबार
इसे लॉरेंस बिश्नोई का खौफ ही माना जा रहा है कि पूर्णिया और मधेपुरा स्थित उनके आवास पर दरबार और रात्रि चौपाल करीब 10 दिनों से बंद है. इन दस दिनों में ना तो उनके न्याय के मंदिर का फोन बज रहा है और ना ही फरियादी यहां अपनी शिकायत लेकर आ रहे हैं. हालांकि, इसकी एक वजह यह भी है कि पप्पू यादव कई दिनों से झारखंड चुनाव में व्यस्त हैं.
महज 3 घंटे सोते हैं पप्पू यादव
लॉरेंस प्रकरण से पहले पप्पू यादव रोजाना सुबह 6 बजे उठकर अपने दरबार में बैठ जाते थे. यहां वह जनता की समस्एं सुनते थे. जनता से बात करते हुए ही वह नाश्ता करते और डॉक्टरों की सलाह पर करीब 15 से 20 दवाएं खाते थे. जनता दरबार में उनके साथ कोई सुरक्षा गार्ड नहीं होता था. लोग बेधड़क आते, उनसे मिलते और आकर अपनी फरियाद सुनाते थे. इसके बाद करीब 10-11 बजे वह पूर्णिया, कटिहार और मधेपुरा में आयोजित कार्यक्रमों के लिए निकल जाते थे. अब 25 अक्टूबर के बाद से उनके कार्यक्रम भी बहुत कम लग रहे हैं. वह खुद पब्लिक प्लेस पर जाने से परहेज कर रहे हैं. जहां कहीं वह जाते भी हैं तो चारों ओर से सुरक्षाकर्मियों से घिरे रहते हैं. कोसी सीमांचल के अलावा वह बिहार के कई जिलों के दौरे करते रहते हैं. वहीं रात में 11 बजे तक लौटने के बाद वह रात्रि चौपाल लगाते हैं. इसमें वह अपने कार्यकर्ताओं से बातचीत करते हैं. वह रात में करीब 3 बजे सोते हैं.
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