महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भले ही प्रकाश अंबेडकर के साथ गठबंधन न किया हो, लेकिन ‘जय भीम और जय मीम’ नारे वाले एजेंडे के साथ उतरे हैं. ओवैसी ने इस बार महाराष्ट्र की 16 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं, जिसमें 12 सीट पर मुस्लिम और 4 सीट पर दलित समुदाय के प्रत्याशी पर भरोसा जताया है. इस तरह दलित और मुस्लिम समीकरण के सहारे ओवैसी महाराष्ट्र की राजनीति में किंग मेकर बनने की जुगत में हैं.
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के टिकट पर महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए 230 लोगों ने आवेदन किया था, लेकिन ओवैसी ने सिर्फ 16 सीट पर ही उम्मीदवार उतारे हैं. मुस्लिम-दलित वोटों को अपने पक्ष में करने की उम्मीद में ओवैसी ने चार सुरक्षित सीटों पर दलित समुदाय से उम्मीदवार उतार दिए हैं और जिन 12 सीटों पर मुस्लिम को टिकट दिया है, उन पर मुस्लिम वोटों की आबादी 25 फीसदी से भी ज्यादा है.
AIMIM ने 4 दलित उम्मीदवार को उतारा
महाराष्ट्र में AIMIM ने चार दलित उम्मीदवार को उतारा है. सांगली के मिराज, अकोला के मुर्तिजापुर, मुंबई के कुर्ला और नागपुर के नागपुर उत्तर से चुनाव लड़ रहे हैं. मिराज से महेश कांबले, मुर्तिजापुर से सम्राट सुरवाड़े, कुर्ला से बबीता कनाडे और नागपुर उत्तर से क्रीति दीपक डोंगरी को प्रत्याशी बनाया है. वहीं, असदुद्दीन ओवैसी ने जिन सीट से मुस्लिम चेहरों को उतारा है, उसमें औरंगाबाद पूर्व, औरंगाबाद मध्य, भिवंडी पश्चिम, वर्सोवा, बायकुला, मुंब्रा, मानखुर्द-शिवाजी नगर, मालेगांव, धुले, सोलापुर, नांदेड़ दक्षिण और करंजा से चुनाव लड़ रहे हैं.
इन मुस्लिम उम्मीदवारों को उतारा
औरंगाबाद पूर्व से पूर्व सांसद सैयद इम्तियाज जलील को प्रत्याशी बनाया है. औरंगाबाद सेंट्रल से नासिर सिद्दीकी, धुले शहर से फारूक शाह अनवर, मालेगांव मध्य से मुफ्ती इस्माइल कासमी, भिवंडी पश्चिम से वारिस पठान, भायखला से फैयाज अहमद खान, मुंब्रा कलवा से सैफ पठान, वर्सोवा से रईस लश्करिया, सोलापुर से फारूक शबदी, कारंजा मनोरा से मोहम्मद यूसुफ और नांदेड़ दक्षिण से सैयद मोइन को चुनावी मैदान में उतारा है.
ओवैसी का दलित-मुस्लिम पर दांव
ओवैसी ने आरक्षित सीटों से चार दलित उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है तो 12 मुस्लिम को प्रत्याशी बनाया है. इस तरह दलित-मुस्लिम समीकरण के सहारे ओवैसी को पांच से 7 सीटें जीतने की उम्मीद है. इस तरह महाराष्ट्र की सियासत में किंगमेकर बनने की उम्मीद पाल रखी है. इसके लिए मॉब लिंचिंग, अल्पसंख्यक उत्पीड़न और हिजाब जैसे मुद्दों को उठाकर मुस्लिम समुदाय के बीच अपनी पैठ जमाने की रणनीति है. मीडिया से बात करते हुए इम्तियाज जलील ने कहा कि हमने जो सीटें चुनी है, वो बेहतर नतीजें देंगी.
संविधान को खत्म करने की साजिश
इम्तियाज जलील कहते हैं कि अगर आप 2019 के लोकसभा नतीजों को देखें, तो मुझे बहुत सारे दलित वोट मिले और मैंने (औरंगाबाद सीट) जीत मली थी. उस समय हम प्रकाश अंबेडकर की वंचित बहुजन अघाड़ी के साथ गठबंधन में थे, लेकिन इस बार उनके साथ नहीं हो पाया है. इसके बावजूद भी हमें दलित समुदाय का समर्थन हासिल है. संविधान को खत्म करने की साजिश की जा रही है, जिसे ओवैसी पूरे दमखम के साथ उठा रहे हैं.
मुस्लिम-दलित आबादी का समीकरण
महाराष्ट्र में 13 फीसदी दलित और 12 फीसदी मुस्लिम आबादी है. इन दोनों समुदाय के सहारे सत्ता पर काबिज होने के लिए कई सियासी दलों के द्वारा आजमाइश की है. दलित-मुस्लिम एकजुट करने के लिए अब तक कई नेताओं ने कोशिशें की, लेकिन कोई धरातल पर नहीं उतार सका है. ओवैसी ने अंबेडकर के साथ जय मीम और जय भीम का नैरेटिव पिछली बार लोकसभा चुनाव में सेट किया था, लेकिन इस बार दोनों की राह अलग-अलग हो गई थी. इसके बाद ओवैसी ने मुस्लिम और दलित के भरोसे इस बार चुनावी मैदान में उतरी है.’जय भीम-जय मीम’ के नारे को गढ़ने में जुटी है ताकि 25 फीसदी वोटों को एकजुट करके किंगमेकर के तौर पर खुद को महाराष्ट्र की राजनीति में स्थापित कर सके.
AIMIM ने कांग्रेस को हराया
ओवैसी ने जिन 16 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं, उसमें पांच सीट पर महाविकास अघाड़ी ने जीती थी और 8 सीट पर महायुति का कब्जा है. औरंगाबाद सेंट्रल, मुंब्रा कलवा, सोलापुर, नांदेड़ साउथ, मानखुर्द शिवाजीनगर और नागपुर उत्तर सीट महा विकास अघाड़ी ने जीती हैं. धुले और मालेगांव सेंट्रल की सीटें फिलहाल AIMIM के पास हैं. इसके अलावा मालेगांव सेंट्रल से AIMIM विधायक मोहम्मद इस्माइल अब्दुल खालिक ने 2019 में कांग्रेस उम्मीदवार को 38,519 वोटों के बड़े अंतर से हराया था.
AIMIM ने पहुंचाया NCP को नुकसान
AIMIM ने 2019 में कांग्रेस को कम से कम दो और अविभाजित NCP को एक सीट पर बुरी तरह से नुकसान पहुंचाया था. भिवंडी पश्चिम में, जिसे भाजपा ने 58,857 वोटों के साथ जीता था, AIMIM 43,945 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर थी, जबकि कांग्रेस 28,359 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर थी. बायकुला में, जहां अविभाजित शिवसेना के उम्मीदवार ने जीत हासिल की, AIMIM 31,157 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रही, जबकि कांग्रेस को केवल 24,139 वोट मिले. बायकुला में AIMIM और कांग्रेस के संयुक्त वोट, विजयी उम्मीदवार यामिनी जाधव को मिले 51,180 वोटों से ज़्यादा थे. शिवसेना के विभाजन के बाद, जाधव ने शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के साथ गठबंधन कर लिया.
कुर्ला में जहां अविभाजित शिवसेना ने जीत हासिल की थी. AIMIM और अविभाजित NCP के वोट मिलकर भी विजयी उम्मीदवार से थोड़े कम थे. यहां, शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के साथ गठबंधन करने वाले मंगेश कुडलकर को 55,049 वोट मिले जबकि AIMIM और अविभाजित एनसीपी को क्रमशः 17,349 और 34,036 वोट मिले, यानी कुल 51,385 वोट मिले थे. 2019 के विधानसभा चुनावों में पार्टी औरंगाबाद सेंट्रल, औरंगाबाद ईस्ट, बायकुला और सोलापुर सिटी सेंट्रल में दूसरे स्थान पर रही थी.
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