इंदौर। अच्छा रिफंड दिलवाने वाले से अपना आयकर रिटर्न भरवाना भारी पड़ सकता है। इस वर्ष का रिफंड तो अटकने के आसार हैं ही, बीते वर्षों के गलत रिफंड की भी वसूली हो सकती है। आयकर विभाग ने सूक्ष्म जांच और निगरानी शुरू की है। बड़े रिफंड वाले और ऐसे नौकरीपेशा जो किसी एक से सामूहिक रूप से रिटर्न दाखिल करवा रहे हैं, वे भी जांच के दायरे में हैं।
बीते वर्षों में जम्मू-कश्मीर और आंध्र प्रदेश में कई सरकारी विभागों के कर्मचारियों द्वारा फर्जी दान की रसीद, खर्च आदि अपने रिटर्न में दिखाकर रिफंड हासिल करने के मामले पकड़ में आए थे। इसके बाद देशभर में रिफंडों के मामले में सख्ती शुरू हुई। उज्जैन में भी ऐसे गलत रिफंड पकड़े गए।
अब केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने विभाग को इस बारे में निर्देश दिए हैं। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से ऐसे रिटर्न और रिफंड को चिह्नित कर जांच की जा रही है। ऑनलाइन रिटर्न सिस्टम लागू होने के बाद से विभाग फटाफट रिफंड भी जारी करता रहा है। आयकर विभाग आमतौर पर कुछ सप्ताह में रिफंड जारी कर देता है। लेकिन तमाम बड़े रिफंड महीनों बाद भी अटके हैं।
सीए कीर्ति जोशी के अनुसार सीबीडीटी ने जो एसओपी विभाग के अधिकारियों के लिए जारी की है, उसमें निर्देश दिए गए हैं कि ऐसे करदाता जिनके रिटर्न बीते आठ वर्षों में कभी भी स्क्रूटनी में गए हों, उन पर टैक्स की मांग निकली हो।
इनकी विशेष जांच की जाए। बड़ा रिफंड क्लेम करने वाले वेतनभोगी जिनके रिफंड का मैच उनके नियोक्ता द्वारा जारी फार्म-16 से मिलान नहीं हो रहा है। जिन्होंने रिटर्न में रिफंड रिवाइज किया है। 80 (जी), विकलांगता, मेडिक्लेम से लेकर हर तरह की छूट रिटर्न में हासिल करते हैं, वे भी दायरे में हैं।
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