उत्तर प्रदेश के कानपुर में दिवाली की रात श्यामदासानी परिवार के लिए काली रात साबित हुई. उनके आलीशान बंगले में आग लग गई. हादसे में परिवार के संजय श्यामदासानी, उनकी पत्नी कनिका और नौकरानी छवि की धुएं से दम घुटने से मौत हो गई. संजय श्यामदासानी शहर के जाने-माने बिजनेसमैन थे.
श्यामदासानी परिवार लगभग 50 साल पहले कानपुर आया था. परिवार के मुखिया ने छोटी सी परचून दुकान शुरू की, लेकिन वो चल नहीं पाई. आर्थिक तंगी ने पंचर की दुकान खोलने पर मजबूर कर दिया. उसके बाद किसी तरह छोटा सा लोन लेकर व्यापार शुरू किया और उसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा. आज परिवार में पारले जी बिस्किट की फ्रेंचाइजी के साथ अन्य व्यापार हैं और इनकी गिनती अरबपतियों में होती है.
आग लगने पर दरवाजे और खिड़की जाम हो गए
पूरा श्यामदासानी परिवार एक ही घर में रहता था. संजय अपनी पत्नी, बेटे और नौकरानी के साथ ऊपर वाले फ्लोर पर रहते थे. दिवाली वाले दिन बेटा दोस्तों के साथ बाहर गया था और संजय अपनी पत्नी के साथ सोने चले गए. रात को दिवाली के दीये से संभवतः आग लग गई जो पूरे फ्लोर में फैल गई. संजय ने दिवाली से कुछ दिन पहले ही घर में लकड़ी और फॉल्स सीलिंग का काम करवाया था. इसके साथ ही दरवाजे और खिड़की को साउंड प्रूफ बनवाने के साथ इलेक्ट्रॉनिक बना दिया था. एक्सपर्ट का मानना है कि इसी वजह से आग लगने पर दरवाजे और खिड़की जाम हो गए और पूरे परिवार का अंदर दम घुट गया. लकड़ी और फॉल्स सीलिंग की वजह से आग तेजी से फैली.
क्या एक बिल्ली बनी आग की वजह?
हादसे के बाद अब इस बात की जांच की जा रही है कि घर में आग कैसे लगी. संजय के परिवार में एक बिल्ली भी पली हुई थी, जिसकी हादसे में मौत हो गई. ऐसा माना जा रहा है कि संभवतः बिल्ली के उछल कूद करने की वजह से मंदिर में रखा दीया पलट गया और उससे आग पकड़ ली. लकड़ी की वजह से आग तेजी से फैली और इलेक्ट्रॉनिक दरवाजे खिड़की जाम होने से कोई भी बाहर नहीं निकल पाया. पुलिस ने बिल्ली का भी पोस्टमार्टम करवाया है.
अपने घर में रखे वेंटिलेशन की सुविधा
फायर एक्सपर्ट का मानना है कि घर में हवा के लिए वेंटिलेशन जरूर होना चाहिए. आधुनिकता के चक्कर में लोग अपने घर को पूरा एसी बनाकर पैक करवा देते हैं, जिसकी वजह से सेहत भी खराब होती है. ऐसे हादसों के समय जान भी आफत में आ जाती है. अगर श्यामदासानी परिवार के घर में वेंटिलेशन होता और दरवाजे इलेक्ट्रानिक ना होते तो शायद परिवार की जान बच सकती थी.
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