500 वाला नहीं, 100 रुपये के नकली नोट खपाते, पुलिस ने 5 को दबोचा; जालसाजी की कहानी

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के बेलीपार थाना क्षेत्र से जालसाजी का मामला सामने आया है. यहां पर पांच युवकों का गिरोह 100 रुपये का नकली नोट बनाने का धंधा कर रहा था. पुलिस की गिरफ्त में आए गिरोह के सदस्यों के पास से 1,03,000 रुपये के नकली नोट, कलर प्रिंटर व एक अर्टिगा गाड़ी की बरामदगी हुई है. पुलिस ने पांचों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है.

एक अधिकारी के मुताबिक, बेलीपार थाना क्षेत्र के बाजारों में नकली नोट खपाने की सूचना मिल रही थी. इसके लिए पुलिस ने अपने मुखबिरों को लगा दिया था. एसपी दक्षिणी जितेंद्र कुमार ने बताया कि इसी बीच सूचना मिली कि नकली नोट लेकर एक अर्टिगा गाड़ी पास के एक बाजार की तरफ जा रही है. इस सूचना पर तत्काल बेलीपार थाना व भौवापर चौकी पुलिस को सतर्क कर दिया गया. गाड़ियों की जांच शुरू करवा दी गई. इसी दौरान अर्टिगा गाड़ी आती दिखी.

पुलिस ने नकली नोट बरामद किए

पुलिस वालों ने हाथ दिखाकर रुकने का इशारा किया तो चालक ने गाड़ी की स्पीड को बढ़ा दिया. हालांकि, पुलिस ने गाड़ी को अपने कब्जे में ले लिया. गाड़ी की जब तलाशी ली गई तो उसमें से एक लाख 3000 रुपये के नकली नोट बरामद हुए. यह नोट 100 रुपयों की गड्डी में थे. पुलिस ने अर्टिगा गाड़ी में बैठे पांच लोगों को गिरफ्तार कर लिया है. हालांकि, स्थानीय लोगों को कहना है कि एक और युवक उस गाड़ी में सवार था, लेकिन उसे प्रधान पिता की रसूख के चलते पुलिस ने छोड़ दिया, जबकि पुलिस इससे इनकार कर रही है.

पुलिस ने बताया कि इस गिरोह का सरगना प्रशांत नामक युवक है. शुरू में उसने अकेले ही नकली नोट बनाने का कारोबार शुरू किया था. उसके बाद उसने एक-एक करके चार अन्य लोगों को भी अपने साथ जोड़ लिया. इन लोगों का टारगेट छोटे बाजार होते थे. छोटे बाजारों में इस नोट को चलना आसान था. उनका लक्ष्य होता था कि छोटे-छोटे बंडल में नकली नोटों को चलाया जाए, ताकि उन पर किसी को शक ना हो, लेकिन बातों ही बातों में जब यह बात थोड़ी प्रसारित हुई तो पुलिस ने मुखबिरों को लगाया और जिसके चलते यह लोग पकड़ में आए.

सरगना प्रशांत ने बताया कि हम लोगों ने अच्छे क्वालिटी का कलर प्रिंटर और पेपर खरीदा था. उससे फोटो कॉपी करने पर ₹100 का नोट बिल्कुल असली जैसा तैयार हो जाता था. बड़े नोट को चलाने में थोड़ी दिक्कत होती थी और 100 रुपये की गड्डी को चलाने में कोई बहुत पूछताछ नहीं होती थी. हालांकि हम लोग इस फिराक में थे कि कोई बड़े नोट को चलाने वाला गिरोह मिल जाए तो उसके साथ हम लोग सौदा कर लेंगे और उसको सप्लाई करेंगे, लेकिन उसके पहले ही पुलिस ने हम लोगों को पकड़ लिया.

क्या बोले पुलिस अधिकारी?

इस संबंध में एसएसपी डॉक्टर गौरव ग्रोवर ने बताया कि पुलिस को जब से इस तरह की शिकायत मिली थी, तभी से सतर्क थी. यही नहीं, पुलिस लगातार अपने मुखबिरों के जरिए उनकी पड़ताल कर रही थी, जब सटीक सूचना मिली तो एसपी साउथ के नेतृत्व में इस कार्रवाई को अंजाम दिया गया.

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