गोवर्धन पूजा हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो भगवान कृष्ण से जुड़ी एक अद्भुत लीला को याद करने के लिए मनाया जाता है. इस त्योहार में गोबर से बना एक छोटा सा पर्वत बनाया जाता है जिसे गोवर्धन पर्वत कहा जाता है. इस पर्वत की पूजा करके भगवान कृष्ण का धन्यवाद दिया जाता है. गोवर्धन पूजा के बाद गोबर से बने गोवर्धन पर्वत भूल से न फेंकें. गोवर्धन पर्वत के गोबर को किसी ऐसे इस्तेमाल में लेना चाहिए ताकि भगवान का अपमान न हो और पुण्य फल की प्राप्ति हो सकें.
गोबर को हिंदू धर्म में पवित्र माना जाता है. इसलिए, इसे फेंकने से पहले कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए. गोबर प्रकृति का एक उपहार है. इसे बर्बाद नहीं करना चाहिए. गोबर एक बेहतरीन खाद का काम करती है. इसे खेतों में डालकर फसलों को उगाने में उपयोग किया जा सकता है. गोबर से बायोगैस बनाई जा सकती है, जिसका उपयोग खाना बनाने और बिजली पैदा करने में किया जा सकता है.
कैसे होती है गोवर्धन पूजा?
- गोवर्धन पूजा में सबसे पहले गोबर से एक छोटा सा पर्वत बनाया जाता है.
- इस पर्वत को भगवान कृष्ण के रूप में पूजा जाता है.
- धूप, दीपक और नैवेद्य अर्पित करें और पूजन संपन्न करें.
- इस दिन भगवान कृष्ण को विभिन्न प्रकार के व्यंजन और मिठाइयों का भोग लगाया जाता है.
- गोवर्धन पर्वत की पूजा के साथ आप आरती करें और गोवर्धन की कथा पढ़ें.
- इस दिन लोग गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करते हैं और कामना पूरी करने की प्रार्थना करते हैं.
- गोवर्धन पूजा भगवान कृष्ण की लीला से जुड़ा होने के कारण एक महत्वपूर्ण धार्मिक पर्व है.
- इस पर्व के दौरान लोग एक-दूसरे के घरों में जाते हैं, भोजन करते हैं और गीत गाते हैं.
- इस पर्व के माध्यम से प्रकृति के प्रति जागरूकता बढ़ती है.
अपवित्र स्थान पर न फेंकें गोबर
गोवर्धन पर्वत में इस्तेमाल हुए गोबर का ज्योतिष में भी विशेष महत्व है और इसे पूजा के बाद भी सुरक्षित रखने की सलाह दी जाती है. ऐसी मान्यता है कि पूजा के बाद कभी भी इस गोबर को कूड़े या किसी अपवित्र स्थान पर नहीं फेंकना चाहिए. जब आपकी पूजा समाप्त हो जाए और तब पूरे दिन आप गोवर्धन पर्वत को उसी स्थान पर बना रहने दें और शाम के समय इसे इकठ्ठा करके एक स्थान पर करें और इसमें पूजा वाली सफ़ेद सींकें लगाएं जिनका इस्तेमाल करवा चौथ में भी किया गया हो. पूजा के गोबर को एक् साथ इकठ्ठा करके उसके ऊपर सरसों के तेल का दीपक जलाएं और उस पर्वत को घर के आंगन में सुरक्षित रख दें.
गोवर्धन के गोबर से आंगन या छत को लीपें
मान्यता है कि आपको गोबर के कुछ हिस्से से घर के आंगन को लीपना चाहिए जिससे माता लक्ष्मी का आगमन सदैव बना रहता है और भगवान कृष्ण की कृपा भी बनी रहती है. महिलाएं पूजा के बाद गोवर्धन के बचे हुए गोबर से कंडे तैयार कर सकती हैं और इसका इस्तेमाल घर के किसी भी काम के लिए किया जा सकता है. इन कंडों को आप सर्दियों में खाना बनाने के लिए भी इस्तेमाल में ला सकती हैं. इसे घर में जलाकर वातावरण को शुद्ध भी किया जा सकता है. आप इन कंडों का इस्तेमाल अच्छी तरह से सुखाकर घर के गार्डन में खाद के रूप में भी कर सकती हैं.
खेतों में भी डाल सकते हैं गोबर
पूजा के बाद गोवर्धन पर्वत के गोबर को गोबर को खेतों में डालकर खाद के रूप में उपयोग किया जा सकता है. इससे फसलों की पैदावार बढ़ेगी और मिट्टी की उर्वरक शक्ति बढ़ेगी. आप गोबर को गमलों में डालकर पौधों के लिए खाद के रूप में उपयोग कर सकते हैं. इससे पौधे स्वस्थ और हरे-भरे रहेंगे. गोबर के उपले बनाकर उन्हें धूप में सुखा सकते हैं, सर्दियों में इन उपलों को जलाकर गर्मी प्राप्त की जा सकती है. आप गोबर को स्थानीय गोशाला में दे सकते हैं. गोबर को ऐसे स्थान पर फेंके, जहां से दूषित जल नदी या तालाब में न जाए.
Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.