इजराइल और फिलिस्तीन विवाद को लेकर भारत का रुख हमेशा से साफ रहा है. भारत ने मिडिल-ईस्ट के इस सबसे बड़े विवाद के निपटारे के लिए ‘टू-नेशन’ समाधान का समर्थन किया है. अगर इजराइल भारत का दोस्त है तो फिलिस्तीन से भी भारत के मजबूत रिश्ते रहे हैं. यही वजह है कि मुश्किल की घड़ी में भारत ने फिलिस्तीन की मदद के लिए हर बार हाथ बढ़ाया है.
जंग की शुरुआत से भारत कर रहा मदद
पिछले साल अक्टूबर में जंग की शुरुआत से ही भारत, गाजा में रहने वाले फिलिस्तीनियों के लिए राहत सामग्री भेज रहा है, जिससे उनकी मदद की जा सके. पिछले साल जहां भारत ने फिलिस्तीन को 3.5 करोड़ डॉलर की वित्तीय सहायता भेजी थी तो वहीं इस साल जुलाई में भारत ने संयुक्त राष्ट्र की राहत और कार्य एजेंसी (UNRWA) को 25 लाख डॉलर की पहली किश्त जारी की थी.
इसके अलावा मोदी सरकार ने 22 अक्टूबर को भी फिलिस्तीन की मदद के लिए 30 टन की राहत सामग्री भिजवाई थी, जिसमें दवाइयां, सर्जिकल आइटम, डेंटल प्रोडक्ट्स, हाई-एनर्जी बिस्कुट समेत कई जरूरी सामग्री शामिल थीं.
इसे UN रिलीफ और गाजा में फिलिस्तीनी शरणार्थियों के लिए काम करने वाली एजेंसी UNRWA के जरिए बांटा जा रहा है.
गाजा में दवा-मेडिकल उपकरणों की भारी कमी
दरअसल भारत की ओर से भेजे जाने वाली राहत सामग्री पहले मिस्र भेजी जाती है जहां से रफाह बॉर्डर के जरिए यह सामान UN की एजेंसियों को पहुंचाया जाता है जो गाजा के लोगों में इन सामग्रियों का वितरण करते हैं.
हालांकि हाल ही में UN की ओर से चिंता जताई गई थी कि इजराइल जरूरी मेडिकल और फूड सप्लाई के ट्रकों को रोक रहा है जिससे गाजा के लोगों पर भूखे मरने की नौबत तक आ गई है. वहीं मेडिकल इक्विपमेंट की कमी के कारण इजराइली हमलों में घायल होने वाले लोगों के इलाज में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.
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