इंदौर। छह जून 2017 को मंदसौर में प्रदर्शन कर रहे किसानों पर गोली किसके आदेश पर चलाई गई थी यह सवाल अब हमेशा के लिए फाइलों में बंद होकर रहस्य रह जाएगा। गोलीकांड की जांच रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं होगी। रिपोर्ट विधानसभा पटल पर रखने की मांग करने वाली जनहित याचिका हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने निरस्त कर दी।
हाई कोर्ट ने इस मामले में दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था, जो गुरुवार को सामने आया। नौ पेज के फैसले में कोर्ट ने कहा कि अधिनियम में रिपोर्ट विधानसभा पटल पर रखने की अधिकतम समय सीमा छह माह निर्धारित की है, लेकिन छह माह में रिपोर्ट विधानसभा पटल पर नहीं रखी जाए तो क्या होगा यह स्पष्ट नहीं है।
मामले को छह-सात वर्ष बीत चुके हैं, ऐसे में अब इसका कोई मतलब नहीं। छह जून 2017 को किसान आंदोलन के दौरान मंदसौर में पुलिस और किसानों के बीच मुठभेड़ हो गई थी। पुलिस ने किसानों को रोकने के लिए गोली चलाई थी। इसमें पांच किसानों की मृत्यु हो गई थी। मामले की जांच के लिए सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति जेके जैन की अध्यक्षता में एक सदस्यीय आयोग गठित किया गया था।
आयोग ने अपनी रिपोर्ट 13 जून 2018 को शासन को सौंप दी थी, लेकिन यह रिपोर्ट अब तक सार्वजनिक नहीं हुई है। रतलाम से पूर्व विधायक पारस सकलेचा ने जांच रिपोर्ट विधानसभा के पटल पर रखे जाने की मांग करते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। उनका कहना था कि इस रिपोर्ट के सार्वजनिक होने पर आमजन को पता चल सकेगा कि मंदसौर गोलीकांड किसकी लापरवाही से हुआ था।
Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.