बीजेपी दंगा कराकर अपने ही लोगों को फंसा दे रही है… बहराइच हिंसा पर अखिलेश यादव ने लगाए आरोप

उत्तर प्रदेश के बहराइच में हुई हिंसा को लेकर समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव ने बीजेपी पर हमला बोला है. उन्होंने आरोप लगाया है कि बीजेपी विधायक ही भाजपाइयों पर एफआईआर करा रहे हैं. साथ ही साथ दंगे करवा कर भाजपाइयों को ही फंसा दिया जा रहा है. अब पार्टी कार्यकर्ता भी कहने लग गए हैं कि बीजेपी किसी की सगी नहीं है.

अखिलेश यादव ने एक्स पर एक पोस्ट शेयर करते हुए लिखा, ‘धिक्कार है ऐसी भाजपाई राजनीति और सत्ता की भाजपाई भूख पर जो सियासत के लिए देश के भाईचारे के बीच दंगा कराने की साजिश करती है. बहराइच हिंसा के मामले में हर दिन नए खुलासे हो रहे हैं, जिनसे भाजपा मुंह दिखाने लायक नहीं रही है.’

बीजेपी समर्थक शर्मिंदा हैं- अखिलेश यादव

उन्होंने आगे कहा, ‘बीजेपी के विधायक ही भाजपाइयों पर साजिश करने की एफआईआर करा रहे हैं और दंगाई छुपे कैमरे के सामने सच उगल रहे हैं. बीजेपी के जो थोड़े बहुत समर्थक और वोटर बचे हैं, अब तो बीजेपी का ये षड्यंत्रकारी और हिंसक रूप देखकर वो भी शर्मिंदा हैं. बीजेपी ने अपने समर्थकों की भावनाओं को गुमराह करके, उनका इस्तेमाल अपनी सत्ता को बचाए-बनाए रखने के लिए किया है. सच तो ये है कि बीजेपी अपने ही लोगों के खिलाफ षड्यंत्र कर रही है. बीजेपी भाजपाइयों से दंगे कराकर उन्हें ही फंसा दे रही है. तभी तो बीजेपी का विधायक, भाजपाइयों के खिलाफ रिपोर्ट लिखवा रहा है.’

बीते दिन भी अखिलेश यादव ने आरोप लगाया था कि बहराइच हिंसा बीजेपी की ओर से योजनाबद्ध थी. उन्होंने मैनपुरी में समाचार एजेंसी एएनआई से कहा, ‘बहराइच में जो कुछ भी हुआ, वह राज्य में आगामी चुनावों के मद्देनजर बीजेपी द्वारा योजनाबद्ध था.’ दरअसल, बहराइच में एक धार्मिक यात्रा के दौरान गोली लगने से एक व्यक्ति की मौत हो गई थी, जिसके बाद प्रदर्शनकारियों ने दुकानों, वाहनों और एक अस्पताल में आग लगा दी.

कैसे शुरू हुआ था विवाद?

रेहुआ मंसूर गांव के निवासी 22 वर्षीय रामगोपाल मिश्रा की 13 अक्टूबर को हिंसा के दौरान गोली मारकर हत्या कर दी गई. महाराजगंज में एक पूजा स्थल के बाहर तेज आवाज में संगीत बजाने को लेकर हुए विवाद के कारण सांप्रदायिक संघर्ष शुरू हुआ था. घटना सांप्रदायिक हिंसा में बदल गई, जिसके कारण इलाके में आगजनी और तोड़फोड़ हुई और चार दिनों तक इंटरनेट बंद रहा. मिश्रा की हत्या और उसके बाद हुई हिंसा के संबंध में 13 अक्टूबर से 16 अक्टूबर तक जिले में कम से कम 11 एफआईआर दर्ज की गईं.

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