बहराइच के रामगोपाल मिश्रा को कैसे मारा गया, बयानों में उलझे सवाल? दंगे की शुरुआत से पीएम रिपोर्ट तक जानें सबकुछ

उत्तर प्रदेश के बहराइच में दशहरा के दिन शुरू हुआ बवाल अब थम चुका है. पूरे इलाके में शांति कायम हो चुकी है. हालांकि अभी भी पुलिस और अर्द्धसैनिक बलों की गश्त जारी है. इस बवाल को लेकर एक से बढ़कर एक अफवाहें उड़ीं, शांत भी हो गईं. लेकिन अभी भी वह सवाल कायम है कि आखिर उस दिन हुआ क्या था, जिसका खामियाजा रामगोपाल मिश्रा को अपनी जान देकर भुगतना पड़ा. हम बताएंगे कि कब-कब अफवाहें उड़ीं और किस तरह से फिजा खराब करने की कोशिश की गई.

दशहरा का दिन था और दोपहर बाद सैकड़ों की तादात में लोग माता की मूर्ति का विसर्जन करने लिए निकले. माता के जयकारे लगाते हुए लोग दुर्गा प्रतिमा के साथ चल रहे थे. जब यह काफिला समुदाय विशेष के बहुलता वाले इलाके में पहुंचा, तभी कुछ अतिवादियों को एक इमारत पर हरा झंडा लहराता नजर आ गया. इसके बाद लोग बजरंगबली की नारेबाजी करने लगे. इतने में रामगोपाल मिश्रा इमारत की छत पर चढ गया और उस झंडे को नोचकर गिरा दिया और उसके स्थान पर भगवा ध्वज लगा दिया.

अफवाहों से भड़का दंगा

रामगोपाल को नीचे से कुछ लोग उकसाने की कोशिश कर रहे थे. जो अफवाह उड़ी उसमें बताया गया कि रामगोपाल को खींच लिया गया और पास की एक इमारत के अंदर ले जाकर बुरी तरह टॉर्चर किया और गोली मारकर हत्या कर दी. इस घटना के खबर जैसे ही काफिले में शामिल अन्य लोगों को मिली, तुरंत आक्रोश फैल गया और लोग तोड़फोड़ व आगजनी पर उतर आए. इस घटनाक्रम में अफवाहों ने आग में घी का काम किया. पहले अफवाह उड़ी कि रामगोपाल को भीड़ के बीच में गोली मारी गई.

दंगाइयों को दौड़ाते दिखे एसटीएफ चीफ

इसके बाद अफवाह उड़ी कि घर में खींच कर उसके नाखून उखाड़े गए और बिजली के झटके दिए गए. आखिर में उसे गोली मारी गई. इन खबरों के चलते तीन दिन दिन तक बहराइच दंगे की आंच में जलता रहा. दंगाई किसी के रोके नहीं रूक रहे थे. नौबत यहां तक आ गई कि बहराइच ही नहीं, आसपास के कई जिलों की पुलिस फोर्स बुलानी पड़ी. यहां तक कि खुद डीजीपी प्रशांत कुमार को बहराइच में डेरा डालना पड़ा. एडीजी लॉ एंड ऑर्डर एवं यूपी एसटीएफ के चीफ अमिताभ यश भी अपने हाथों में पिस्टल लेकर दंगाइयों को दौड़ाते नजर आए.

पुलिस को देनी पड़ी सफाई

इतने में पोस्टमार्टम रिपोर्ट सामने आई. इसमें पता चला कि मौत की वजह तो गनशॉट ही है, लेकिन इसमें टॉर्चर और बिजली के झटके देने की भी पुष्टि हुई. इससे एक बार फिर माहौल खराब होने लगा. ऐसे में एक बार फिर पुलिस ने वीडियो बयान और सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए सफाई दी.इसमें पुलिस ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट को आधा बताते हुए कहा कि रामगोपाल मिश्रा की मौत गोली लगने से ही हुई है. इसी के साथ पुलिस ने करंट और नाखून उखाड़ने की बात को अफवाह करार दिया.

सीएम के भरोसे पर शांत हुआ परिवार

हालांकि पुलिस ने यह नहीं बताया कि रामगोपाल मिश्रा के हाथ पैर और शरीर के आगे के हिस्से में चोट के निशान कैसे आए. बता दें कि रामगोपाल मिश्रा के परिजन भी जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलने गए थे, उस समय भी उन्होंने सीएम को बताया था कि उनके बेटे को टॉर्चर किया गया था. उसके नाखून तक उखाड़ लिए गए थे. हालांकि उस समय सीएम ने उन्हें समझा बुझाकर शांत कराया था. इसी के साथ सीएम ने परिवार में एक व्यक्ति को नौकरी, आयुष्मान कार्ड व अन्य सुविधाएं देने का भी भरोसा दिया था. मुख्यमंत्री के आश्वासन के बाद ही परिवार के लोग शांत हुए और रामगोपाल मिश्रा के शव का अंतिम संस्कार कराया जा सका.

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