भोपाल: यदि आप त्योहार पर बाजार से मावा या उससे बनी मिठाई खरीद रहे हैं तो सावधान हो जाएं क्योंकि इनकी शुद्धता की कोई गारंटी नहीं है। यह अमानक अथवा मिलावटी मावा से बनी हो सकती है। दरअसल 10 महीने पहले यानि जनवरी से अब तक खाद्य सुरक्षा प्रशासन के अमले ने 100 क्विंटल मावा पकड़ा था। यह मावा भिंड, मुरैना और ग्वालियर से भोपाल लाया गया था। जब इसकी जांच कराई गई तो 70 प्रतिशत मावा अमानक और मिलावटी निकला।
असली सरगनाओं तक नहीं पहुंच पाता विभाग
मिलावटी मावा का कारोबार लंबे समय से ग्वालियर और चंबल अंचल से संचालित किया जा रहा है। त्योहारी सीजन में इसकी आवक ज्यादा हो जाती है। ऐसे कारोबारी भोपाल तक अमानक मावा या तो ट्रक या फिर ट्रेन के माध्यम से फर्जी नाम से बुक कर भेजते हैं। ऐसे में संदिग्ध मावा कारोबार के असली सरगनाओं तक खाद्य विभाग नहीं पहुंच पाता है।
फैट निकाल कर करते हैं आपूर्ति
अधिकारियों के अनुसार, ग्वालियर-मुरैना से आने वाला मावा सेहत के लिए ज्यादा नुकसानदेह होता है। कारोबारी फायदे के लिए मावा से फैट निकाल लेते हैं। उसकी जगह पाम आयल या अन्य तेल मिला देते हैं। फैट कम होने और अन्य पदार्थ मिलाने से जांच में मावा अमानक निकलता है।
इस तरह की जा सकती है शुद्ध मावा की पहचान
आयोडीन : एक कटोरी गर्म पानी में थोड़ा-सा मावा डालें और फिर आयोडीन की कुछ बूंदें मिलाएं। मावे का रंग नीला हो जाए, तो समझ जाएं कि इसमें स्टार्च मिलाया गया है।
रगड़ना : मावे को हथेलियों पर रगड़ें, अगर इसमें से घी निकलता है, तो मावा असली है। नकली मावा रगड़ने पर उससे केमिकल की गंध आती है।
सूंघना : असली मावा सूंघने पर दूध की महक आती है। नकली में नहीं, खाने का है।
स्वाद : असली मावा खाने पर मुंह में चिपकता नहीं और कच्चे दूध जैसा स्वाद आता है। वहीं, नकली मावा मुंह में चिपक जाता है।
पानी में डालें: मिलावटी मावे को पानी में डालने पर वह टूटकर अलग हो जाता है, जबकि असली मावा पतला होकर पानी में घुल जाता है।
गोली बनाएं : मावे को हाथ में लेकर एक छोटी सी गोली बनाएं। मावा टूटने लगे या गोली में दरार आने लगे, तो समझ जाएं कि मिलावट की गई है।
(खाद्य सुरक्षा अधिकारियों द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार)
Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.