करवा चौथ हिंदू धर्म का सबसे महत्वपूर्ण और कठिन व्रत है, जो हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है. इस दिन सभी सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं और विधि-विधान से करवा माता की पूजा अर्चना करती हैं. करवा चौथ का व्रत पति-पत्नी के रिश्ते में विश्वास और मिठास बढ़ाता है. इस पर्व को प्रेम और स्नेह का प्रतीक माना जाता है. इस दिन महिलाएं सुखी वैवाहिक जीवन और पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती हैं. धार्मिक मान्यता है कि करवा चौथ व्रत की शुरुआत सरगी खाने से होती है, जो सूर्योदय से लगभग 2 घंटे पहले तक खाई जाती है. इस बार करवा चौथ पर 21 मिनट का भद्रा का साया रहेगा ऐसे में महिलाएं करवा चौथ का व्रत कैसे शुरू करें.
पंचांग के अनुसार कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 20 अक्तूबर दिन रविवार को सुबह 6 बजकर 46 मिनट पर शुरू होगी और 21 अक्तूबर दिन सोमवार को तड़के सुबह 4 बजकर 16 मिनट पर समाप्त होगी. करवा चौथ के दिन पूजा के लिए शुभ मुहूर्त 20 अक्तूबर 2024 की शाम 5 बजकर 46 मिनट से शुरू होगा. ये मुहूर्त शाम 7 बजकर 02 मिनट तक रहेगा. इस दौरान विधि विधान से करवा माता की पूजा की जा सकती हैं.
चंद्रदर्शन का समय
करवा चौथ के उपवास में चांद की अहम भूमिका होती हैं, क्योंकि बिना इसके उपवास अधूरा होता है. पंचांग के अनुसार इस वर्ष करवा चौथ पर चांद निकलने का समय शाम 7 बजकर 44 मिनट का है. ऐसे में आप 7 बजकर 53 मिनट के बाद चंद्रमा की पूजा कर व्रत का पारण कर सकते हैं.
भद्रा का समय
इस साल 2024 में करवा चौथ के दिन भद्रा का साया रहेगा. यह भद्रा दिन में केवल 21 मिनट के लिए ही रहेगी, जिसका वास स्थान स्वर्ग है. ज्योतिष गणना के अनुसार, करवा चौथ पर भद्रा का साया सुबह 06 बजकर 25 मिनट से लेकर सुबह 06 बजकर 46 मिनट तक रहेगा, लेकिन यह व्रत के शुरुआत में ही है. इसलिए करवा चौथ व्रत पर भद्रा का अधिक प्रभाव नहीं पड़ेगा.
इन नामों का ध्यान कर शुरू करें व्रत
अगर किसी को भद्रा का डर सता रहा है तो वह इस दिन माता के 12 नामों को लेने के बाद ही करवा चौथ व्रत की शुरुआत करें. ऐसा करने पर भद्रा की आंच पति पर नहीं पड़ेगी. इस साल करवा चौथ का व्रत रखने वाली सभी सुहागिन महिलाओं को इन 12 नामों को लेकर ही व्रत की शुरुआत करनी चाहिए. इसमें धन्या, महारुद्रा, कुलपुत्रिका, दधीमुखी, खरानना, भैरवी, महाकाली, असुरक्षयकाली, भद्र, महामारी, विष्टि, कालरात्रि नाम शामिल है.
करवा चौथ का महत्व
करवा चौथ का व्रत मुख्य रूप से उत्तर भारत में मनाया जाने वाला प्रमुख पर्व है. करवा चौथ व्रत उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश और हिमाचल प्रदेश के क्षेत्रों में मुख्य रूप से मनाया जाता है. हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, करवा चौथ व्रत करने से पति निरोगी व दीर्घायु होता है. परिवार में अंनत खुशियां व सुख-समृद्धि का आगमन होता है और वैवाहिक जीवन में आने वाली बाधाएं खत्म होती हैं.
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