सिवनी में मिडास क्लासेज सरकार के आदेशों की धज्जियां उड़ाते

 सिवनी। जिले में कोचिंग संस्थानों में शासन के दिशा निर्देशों की अवहेलना हो रही है। कई कोचिंग ऐसी है जो बिना पंजीयन के संचालित हो रही है जबकि 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को भी कोचिंग में पढ़ाया जा रह है इसके बावजूद भी जिम्मेदारी अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने 2024 में कोचिंग संस्थानों के लिए नई गाइडलाइन जारी की थी इस गाइडलाइन के मुताबिक कोई भी कोचिंग संस्थान 16 साल से कम उम्र के बच्चों को अपने यहां दाखिला नहीं करा सकते जबकि जिले में अभी भी कक्षा नवमीं से लेकर बारहवीं तक के बच्चों को कोचिंग पढ़ाई जा रही है। इन बच्चों की उम्र 16 साल से कम हैं लेकिन इसके बावजूद भी नियमों की अनदेखी हो रही है। बारापत्थर क्षेत्र  में सबसे ज्यादा कोचिंग संचालित हो रही है। जहां पर बड़ी संख्या में स्कूली बच्चे पढ़ाई करने पहुंच रहे है।
बिना पंजीयन चल रही कोचिंग – जीएसटी की भी चोरी कर रहे संचालक जिले में कई कोचिंग सेंटर ऐसी हैं जहां पर दर्जनों की संख्या में बच्चे पढ़ाई कर रहे है लेकिन इन कोचिंग सेंटरों का कोई भी पंजीयन नहीं है जबकि जीएसटी की बड़े पैमाने घर चोरी हो रही है। इस मामले में संबंधित विभाग का भी ध्यान नहीं है   कोचिंग संचालक जीएसटी की चोरी कर रहे हैं। जबकि सरकार ने जब सभी कोचिंग गाइडलाइन जारी की थी उसी वक्त सभी कोचिंग संचालकों को तीन माह में पंजीयन कराने के निर्देश दिए गए वे इसके अलावा कोचिंग की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए किसी भी प्रकार का भ्रामक विज्ञापन वा पलैक्स नहीं लगाने के निर्देश दिए थे।
साल 2023 में सबसे ज्यादा छात्रों ने की थी सुसाइड
जानकारी दे दें कि छात्रों के सुसाइड का यह मुद्दा पिछले साल नवंबर में सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया था, जब एक परेशान माता-पिता अनिरुद्ध नारायण मालपानी ने राजस्थान के कोटा में युवाओं के सुसाइड को रोकने के लिए दिशानिर्देशों या किसी भी प्रकार के विनियमन की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, 2015 के बाद से सबसे अधिक, जहां 2023 में 26 आत्महत्या मौतें दर्ज की गईं थीं।
छात्रों की मानसिक भलाई के लिए कदम उठाना चाहिए
जारी दिशानिर्देशों में कहा गया है, “छात्रों पर हाई कंपटीशन और एकेडमिक प्रेशर के कारण, कोचिंग सेंटरों को छात्रों की मानसिक भलाई के लिए कदम उठाना चाहिए और अपने छात्रों पर बिना दबाव डाले बिना क्लासेस चला सकते हैं। आगे कहा गया, “कोचिंग संस्थानों को मानसिक तनाव और अवसाद के समाधान के लिए छात्रों को परामर्श देने और साइकोलॉकिल मदद करने के लिए अनुभवी साइकोलॉजिस्ट को शामिल करने के लिए कहा जाता है।” इसने मेंटल हेल्थ को बढ़ावा देने के लिए एक रूपरेखा तैयार की, जिसमें मानसिक भलाई, दृष्टिकोण और व्यवहार, मनोसामाजिक समस्याओं और गंभीर समस्याओं या मानसिक विकारों से शुरू होने वाली समस्याओं से निपटने के लिए संस्थान को तैयार रहेने को कहा गया है।
हर कोचिंग सेंटर में दो दरवाजे के नियम-जिले में कई कोचिंग संस्थानों द्वारा नियमों की अनदेखी जा रही है कोचिंग संस्थानों को जो निर्देश जारी किए गए वे इनका पालन नहीं हो रहा है निर्देशों के मुताबिक मुख्य रूप से कोचिंग संस्थान को यह निर्देश दिया गया था कि 16 साल से कम उम्र के बच्चों को एडमिशन नहीं दे सकेंगे। किसी भी तरह की भ्रामक जानकारी नहीं दी जाएगी, अच्छे नंबर या रैंक दिलाने की गारंटी नहीं दी जाएगी। कोचिंग संस्थान ग्रेजुएट से कम योग्यता वाले शिक्षकों कोनियुक्त नहीं करेगा। तलघर में कोचिंग का संचालन नहीं किया जाएगा। कोचिंग सेंटर को फीस की रसीद देना अनिवार्य होगा, यदि विद्यार्थी ने पाठ्यक्रम के लिए पूरी फीस जमा की है और बीच में वह कोचिंग छोड़ता है तो सेंटर 10 दिनों में उसकी शेष फीस वापस करेगा। साथ ही अपनी वेबसाइट पर शिक्षकों की योग्यता, पाठ्यक्रम, उसके पूरे होने की अवधि, छात्रावास सुविधा समेत सभी चीजों के शुल्क सहित दर्ज किए जाएंगे। इसके अलावा कोचिंग सेंटर में दो दरवाजे और अग्निशमन अनिवार्य है।
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